नई दिल्ली: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गुरुद्वारा कारते परवान पर शनिवार को सुबह सुबह आतंकियों ने हमला कर दिया. आतंकियों ने यहां कई ब्लास्ट किए. इस हमले में गुरुद्वारे के मुस्लिम सुरक्षा गार्ड की मौत हो गई. तीन लोगों को बाहर निकाला गया. इनमें दो को घायल अवस्था में अस्पताल भेजा गया.
काबुल में कार्ते परवान गुरुद्वारा कमेटी के मेंबर तलविंदर सिंह चावला ने घटनास्थल के बाहर से आजतक को ताजा हाल बताया है. चावला ने बताया कि अभी भी आतंकी गुरुद्वारा के अंदर हैं. तीन-चार घंटे से हमारे 4 से 5 लोग अभी भी मिसिंग हैं. अंदर से 2 से 3 लोग निकाले गए हैं. इन सभी को जख्मी हालत में अस्पताल पहुंचाया गया है.
तलविंदर सिंह चावला ने कहा है कि तालिबान की मौजूदा सरकार के गार्ड वहां पहुंच गए हैं लेकिन ये लोग किसी को अंदर नहीं जाने दे रहे हैं. आतंकी अभी भी अंदर हैं और वहां से लगातार फायरिंग की आवाज आ रही है. पूरा गुरुद्वारा आग की लपेट में है, पूरे गुरुद्वारे में आग पकड़ चुका है. उन्होंने कहा कि यहां 5 से 7 ब्लास्ट लगातार हो चुके हैं.
हमलों पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय (MEA) के सरकारी प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम पवित्र गुरुद्वारे पर हमले की खबर से बहुत चिंतित हैं. हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और घटना के बारे में जानकारी का इंतजार कर रहे हैं.
जानकारी मिली है कि इस हमले के पीछे ISIS खुरासान का हाथ है. बताया गया कि हमला सुबह 7:15 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे) से शुरू हुआ. गुरुद्वारे की रक्षा करते हुए 3 तालिबान सैनिक घायल हुए हैं. तालिबान सैनिकों ने दो हमलावरों को घेर लिया है. बताया गया कि गुरुद्वारा में सुबह की प्रार्थना के लिए 25-30 अफगान हिंदू और सिख मौजूद थे. जैसे ही हमलावर परिसर में दाखिल हुए तो 10-15 लोग भागने में सफल रहे. बाकी अंदर फंस गए हैं.
बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि गुरुद्वारा कार्ते परवान के अध्यक्ष गुरनाम सिंह से बातचीत की है. गुरनाम ने अफगानिस्तान में सिखों के लिए वैश्विक समर्थन की मांग की है. सिरसा ने बताया कि अब तक 3 लोग (गुरुद्वारे से) निकल चुके हैं, जिनमें से 2 को अस्पताल भेजा गया है. गुरुद्वारा के मुस्लिम गार्ड की गोलियों से मौत हो गई. माना जा रहा है कि 7-8 लोग अभी भी अंदर फंसे हुए हैं लेकिन संख्या की पुष्टि नहीं हुई है. अभी भी फायरिंग जारी है.
बता दें कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पूरे अफगानिस्तान में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई हैं. शुक्रवार को पिछली अशरफ गनी सरकार द्वारा नियुक्त भारत में अफगान राजदूत फरीद मामुंडजे ने कहा कि अफगानिस्तान के लोग एक बार फिर सबसे बुरे वक्त से गुजर रहे हैं. देश आर्थिक, सुरक्षा और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले साल अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद वहां मानवीय सुरक्षा और राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. मामुंडजे ने कहा कि अफगानिस्तान से (सैनिकों की) अमेरिका की वापसी और तालिबान के कब्जे के बाद देशभर में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई हैं.