UAE, के अधिकारी अमेरिका-चीन के बीच तनाव, शांति को आगे बढ़ाना जरूरी

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में किसी एक का चुनाव करना ही समस्या है और मुझे नहीं लगता कि यह आसान होने जा रहा है.

Update: 2021-10-04 07:13 GMT

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) तुर्की और ईरान (Turkey-Iran) के साथ लंबे समय से चले आ रहे तल्ख रिश्तों के बीच किसी भी नई टकराव की स्थिति को बातचीत के माध्यम से संभालने की कोशिश कर रहा है. यूएई के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर गार्गश ने दुनिया को वॉर्निंग दी है कि अमेरिका और चीन के बीच जो स्थिति है, उसका असर इस क्षेत्र पर देखने को मिलेगा.

एक सम्मेलन में उन्‍होंने कहा कि उनका देश कोविड-19 के बाद अपने अर्थव्यवस्था की दशा को सुधारने में लगा है. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र को लेकर अमेरिकी प्रतिबद्धता और अमेरिका-चीन के मंडराते शीत युद्ध को लेकर चिंता रही है. खाड़ी देश यूएई के चीन के साथ आर्थिक और अमेरिका के साथ मजबूत सैन्य रिश्ते रहे हैं.
अफगानिस्‍तान की स्थिति पर नजर
फिलहाल यूएई, ईरान और वैश्विक शक्तियों के बीच 2015 के परमाणु समझौते को लेकर बातचीत और अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से लौट जाने के बाद तालिबान की वहां की सत्ता में वापसी पर नजर बनाए हुए है.अनवर गार्गश ने कहा, 'हम आने वाले समय में देखेंगे कि अमेरिका के कदमों से इस क्षेत्र में वास्तव में क्या हो रहा है. मुझे नहीं लगता कि अभी हमें पता है लेकिन अफगानिस्तान निश्चित रूप से एक चुनौती है और निश्चित रूप से यह चिंताजनक स्थिति है.'
विश्व नीति सम्मेलन में उन्होंने कहा, 'हमें अपने क्षेत्र में बेहतर तरीक़े प्रबंधन की जरूरत है क्योंकि यहां खालीपन है और जब भी ऐसी स्थिति पैदा होती है तो परेशानी होती है.'
शांति को आगे बढ़ाना जरूरी
ईरान और तुर्की के साथ जुड़कर यूईए इस क्षेत्र में तनाव को कम करना चाहता है, जो यमन, लीबिया और इस क्षेत्र के अन्य क्षेत्रों के संघर्ष में इन देशों के प्रभाव को नियंत्रित करने की दिशा में कभी आगे बढ़ा था. गार्गश ने कहा कि तुर्की ने हाल ही में इजिप्‍ट, ब्रदरहुड और सऊदी अरब और अन्य देशों के साथ अपनी नीतियों का पुनःपरीक्षण किया है, जो स्वागतयोग्य है और मुझे लगता है कि हम बीच रास्ते में हैं और इसे विस्तार देना बहुत जरूरी है.
स्थिति की गंभीरता को लेकर परेशान
उन्होंने कहा कि हम जो उनसे कह रहे हैं उसे लेकर तुर्की बहुत सकारात्मक है. लेकिन क्या मैं इस बात को लेकर बहुत सकारात्मक हूं कि ईरान भी अपनी स्थिति बदलेगा? तो मेरा कहना है कि हां मैं यथार्थवादी हूं. मैं पक्के तौर पर कह सकता हूं कि ईरान भी इस खालीपन और स्थिति की गंभीरता को लेकर चिंतित है.
राष्‍ट्रपति के सलाहकार ने कहा कि कोरोना महामारी ने गैर-राजनीतिक प्राथमिकताओं को सबसे आगे रख दिया है और अब सबसे बड़ी चिंता अमेरिका और चीन को लेकर है. सभी मंडराते शीत युद्ध को लेकर चिंतित हैं. यह हम सब के लिए बुरी ख़बर है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में किसी एक का चुनाव करना ही समस्या है और मुझे नहीं लगता कि यह आसान होने जा रहा है.


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