यूक्रेन में माइनस में चला जाता है तापमान, खूब होती है बर्फबारी, रूसी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकेगा

दोनों देशों के सामने अपनी सेना के लिए रसद भेजना सबसे बड़ी चुनौती होगी.

Update: 2022-11-10 01:58 GMT
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को अब करीब 9 महीने हो चुके हैं. जिस युद्ध को रूस ने एक या दो हफ्ते में जीतने का दावा किया था, वह 9 महीने बाद भी खत्म होता नहीं दिख रहा है. रूसी सेना को यूक्रेन में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. बीच में ऐसी स्थिति आ गई थी, जब यूक्रेन ने रूस के सैनिकों को कई इलाकों से खदेड़ दिया था. पर एक बार फिर रूस हावी है, लेकिन आने वाले समय में उसके लिए बढ़त बनाए रखना आसान नहीं होगा. इसकी सबसे बड़ी वजह मौसम है. आइए जानते हैं रूस के सैनिकों के सामने क्या-क्या चुनौतियां होंगी.
यूक्रेन में माइनस में चला जाता है तापमान, खूब होती है बर्फबारी
15-20 दिनों में अब यूक्रेन में सर्दियां शुरू हो जाएंगी. दिसंबर से मार्च के बीच यूक्रेन में औसतन तापमान -4.8 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक होता है. यहां दिसंबर में औसतन 14 दिन, जनवरी में 17 दिन और फ़रवरी में 15 दिन बर्फ़ पड़ती है. हर महीने औसतन 1.5 मीटर बर्फ़ यूक्रेन में पड़ती है. इस हालात में लड़ना रूसी सेना के लिए आसान नहीं होगा. उन्हें इतनी ठंड में रहने की आदत नहीं है. ऐसे में रूस को यूक्रेन के सैनिकों से भी ज्यादा चुनौती ठंड से मिलेगी. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है और इसमें रूस आगे निकलता दिख रहा है. दरअसल, रूस अगर मिसाइल अटैक से यूक्रेन में बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप कर दे तो यूक्रेन के सैनिक और आम लोग ठंड में ठिठुरते नजर आएंगे.
इस तरह ठंड युद्ध को करेगा प्रभावित
सर्दियों में यहां अधिक बर्फबारी होती है. अगर बर्फ ज्यादा गिरेगी तो मैदान बर्फ औऱ फिर कीचड़ से भर जाएंगे. ऐसी स्थिति में सैनिकों औऱ उनके वाहनों के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा. यूक्रेन के लोग चाहेंगे की सर्दी बहुत ज़्यादा पड़े ताकि मैदान जम जाएं, जबकि रूसी ये चाहेंगे कि सर्दी कम पड़े और बारिश हो ताकि यूक्रेन के सैनिक और वाहन फंस जाएं. इसके अलावा दोनों देशों के सामने अपनी सेना के लिए रसद भेजना सबसे बड़ी चुनौती होगी.

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