चीन और अमेरिका के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता

Update: 2022-09-24 16:06 GMT
बीजिंग, (आईएएनएस)| चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 23 सितंबर को यूएन स्थित चीनी प्रतिनिधि मंडल के निवास स्थान पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से वार्ता की।
वांग यी ने कहा कि हाल में चीन-अमेरिका संबंध एक कुंजीभूत काल में आ चुके हैं। दोनों को विश्व, इतिहास और दोनों देशों के लोगों के प्रति जिम्मेदाराना रुख अपनाते हुए दो बड़े देशों के बीच सहअस्तित्व करने की स्थापना करनी चाहिए, ताकि द्विपक्षीय संबंध स्थिर रूप से आगे विकसित हो सके।
हाल में थाईवान मसले पर अमेरिकी पक्ष ने बार-बार गलत कार्रवाइयां की हैं। इसकी चर्चा में वांग यी ने कहा कि थाईवान सवाल चीन के केंद्रीय हितों में सबसे महत्वपूर्ण भाग है। देश की प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करना सभी चीनियों का मिशन रहा है। इस सवाल पर चीन कभी रियायत नहीं देगा। थाईवान सवाल चीन का अंदरूनी मामला है और अमेरिका को इस में हस्तक्षेप करने का कोई हक नहीं है। अमेरिका को चीन-अमेरिका तीन संयुक्त विज्ञप्तियों और एक-चीन सिद्धांत के मुताबिक एक-चीन नीति का समर्थन करने को दोहराना चाहिए और स्पष्ट रूप से किसी भी थाईवानी स्वाधीनता वाले अलगाव की गतिविधियों का विरोध करना चाहिए।
वांग यी ने जोर दिया कि चीन और अमेरिका दो बड़े देशों के बीच समान हितों के साथ गहरे मतभेद भी हैं। यह कभी नहीं बदलेगा। लेकिन यह दोनों पक्षों द्वारा समान हितों के आधार पर सहयोग करने में बाधा नहीं डालेगा, साथ ही चीन-अमेरिका विरोध करने का कारण भी नहीं बनेगा। आशा है कि अमेरिका चीन को नियंत्रित करने की नीति पर पुन:विचार कर इसमें परिवर्तन लाएगा और चीन के विकास को रोकने के बारे में नहीं सोचेगा। अमेरिका को दोनों के बीच सामान्य आवाजाही को बहाल करने के लिए अच्छा माहौल की तैयारी करनी चाहिए, ताकि चीन-अमेरिका संबंध स्वस्थ और स्थिर विकास रास्ते में वापस लौट सकें।
वार्ता में ब्लिंकन ने कहा कि हाल में अमेरिका-चीन संबंध कठिन वक्त में गुजर रहे हैं। द्विपक्षीय संबंधों को आगे विकसित करना दोनों देशों के हितों से मेल खाता है। पहले दोनों देशों ने मतभेदों को अच्छी तरह नियंत्रित किया था। अमेरिका चीन के साथ संवाद कर गलतफहमियों को रोकना चाहता है। उन्होंने दोहराया कि अमेरिका नया शीत युद्ध नहीं चाहता है। अमेरिका की एक-चीन नीति कभी नहीं बदली है और अमेरिका थाईवानी स्वाधीनता का समर्थन नहीं करता है।
दोनों पक्षों ने यूक्रेन परिस्थिति पर भी विचार विमर्श किया। वार्ता के बाद दोनों ने कहा कि वार्ता स्पष्टवादी और रचनात्मक रही। दोनों पक्ष संपर्क को बनाए रखने पर सहमत हैं।
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