इजरायल में परमाणु समझौते को लेकर होने वाली है वार्ता, आसमान में गरज रहे हैं लड़ाकू विमान

जो बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि वह फिर से समझौते में शामिल होंगे.

Update: 2021-11-23 06:26 GMT

लाल सागर (Red Sea) में इजरायल (Israel), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन (Bahrain) की नौसेना ने कुछ दिनों पहले अमेरिकी युद्धपोत (US Warship) के साथ संयुक्त सुरक्षा अभियानों का पूर्वाभ्यास किया. इससे ठीक एक महीने पहले इजरायल के बंदरगाह शहर इलियट (Eilat) के उत्तर में एक रेगिस्तानी हवाई अड्डे पर वॉर-गेम का आयोजन किया गया. इसमें इजरायल और सात अन्य देशों के लड़ाकू विमानों को आसमान में गरजते हुए देखा गया. इन सैन्य अभ्यासों का मकसद ईरान (Iran) को सख्त चेतावनी देना है. ईरान ने हाल के दिनों में अपने खुद के सैन्य अभ्यास किया.

ये सभी घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आ रहे हैं, जब इजरायल में कई लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं देश को खुद ही सैन्य तरीके से ईरान के परमाणु कार्यक्रम (Iran's nuclear programme) पर हमला न करना पड़ जाए. इजरायली सरकार ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स के खिलाफ संभावित हमले के लिए इजरायली सशस्त्र बलों को तैयार करने के लिए 1.5 बिलियन डॉलर का आवंटन किया है. इसके अलावा, देश में हर दिन नेताओं और सैन्य अधिकारियों की तरफ से हर दिन हमले की चेतावनी दी जा रही है. विश्लेकों का कहना है कि इजरायल की ईरान के साथ युद्ध का कोई इरादा नहीं है, लेकिन वह ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा.
परमाणु समझौते को लेकर होने वाली है वार्ता
इजरायल द्वारा ईरान के खिलाफ हमले की ये जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है, जब 2015 के परमाणु समझौते को फिर से शुरू करने के लिए ईरान और दुनिया की पांच विश्व शक्तियों के बीच वार्ता होने वाली है. ईरान परमाणु समझौते को संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है. इसे लेकर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में 29 नवंबर को चर्चा होने वाली है. जेसीपीओए के तहत ईरान को अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करना था और अपने परमामु स्थलों को जांच के लिए खोलना था. इसके बदले ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटाना था. हालांकि, 2018 में अमेरिका सौदे से बाहर हो गया और फिर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए गए.
आखिर क्यों ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर है बवाल?
दुनिया की वैश्विक शक्तियों को ईरान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. कुछ देशों को लगता है कि ईरान परमाणु हथियार इसलिए चाहता है, क्योंकि वह परमाणु बम (Nuclear Bomb) बनाना चाहता है. हालांकि, ईरान ने ऐसा करने से इनकार किया. 2015 में ईरान और छह अन्य देशों ने ईरान के साथ एक समझौता किया. इसके तहत ईरान को अपने कुछ परमाणु गतिविधियों को रोकना था और उस पर लगे कड़े प्रतिबंधों में ढील दी गई. लेकिन जैसे ही अमेरिका इस समझौते से बाहर हुआ, ईरान ने एक बार फिर परमाणु कार्यक्रम में तेजी लाना शुरू कर दिया. हालांकि, जो बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि वह फिर से समझौते में शामिल होंगे.
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