तालिबान का नया फरमान: मेलों में नहीं ले जा सकेंगे बंदूक, छात्र और छात्राओं को अलग-अलग बैठाकर शुरू हुई पढ़ाई

तालिबान सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए फैसला लिया है कि

Update: 2022-02-02 16:29 GMT
काबुल, रायटर। तालिबान सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए फैसला लिया है कि अब उनके लड़ाके पार्को और मेलों में अपनी बंदूकें नहीं ले जा सकेंगे। अब उन्हें इन स्थानों पर वर्दी में और वाहन के साथ जाने की भी इजाजत नहीं होगी। ट्वीट कर तालिबानी प्रवक्ता जब्बीबुल्ला मुजाहिदीन ने यह जानकारी दी है। वहीं अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद से बुधवार को पहली बार देश भर में सभी विश्वविद्यालय खोल दिए गए हैं। इन सभी विश्वविद्यालयों के परिसरों में छात्र और छात्राओं ने पढ़ाई शुरू कर दी है। हालांकि छात्र और छात्रों की कक्षाएं अलग-अलग लगी हैं।
बिजली संकट से 580 कंपनियां बंद
वहीं समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान इंडस्ट्रीज एंड माइन्स चैंबर (एआइएमसी) के प्रमुख शेरबाज कमीनजादा ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बिजली कट जाने से कम से कम 580 कंपनियों में कामकाज ठप हो गया है। इन कंपनियों के बंद होने से वहां के 4500 कर्मचारियों की नौकरी भी चली गई है।
तालिबान की मेजबानी करेगा रूस
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के रूसी राजदूत जामिर काबुलोव ने कहा कि वह अफगानिस्तान प्रशासन और विपक्षी सेनाओं के प्रतिनिधियों को रिसीव करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि रूसी अफसरों ने बार-बार कहा कि वह बैठकें आयोजित कराएंगे। तालिबान की ओर से अभी बैठक की औपचारिक पुष्टि नहीं हुई है।
यूनिसेफ को जर्मनी देगा 14 करोड़ डालर
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में भीषण सर्दी की मार झेल रहे बच्चों और महिलाओं की मदद कर रहे यूनिसेफ के सहयोग के लिए जर्मनी इस संगठन को 14 करोड़ डालर की सहायता राशि देगा। यूनिसेफ के मुताबिक 3.5 करोड़ लोगों को अफगानिस्तान में मूल स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं।
अफगानिस्तान में खुले सभी विश्वविद्यालय
वहीं समाचार एजेंसी रायटर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में सभी विश्वविद्यालयों के परिसरों में छात्र और छात्राओं ने पढ़ाई शुरू कर दी है। पूर्वी जलालाबाद स्थित नानगढ़ विश्वविद्यालय में एक अलग दरवाजे से छात्राओं को प्रवेश दिया गया। यह अफगानिस्तान के बड़े सरकारी विश्वविद्यालयों में से एक है।
तालिबान के पिछले शासन वर्ष 1996 से 2001 के दौरान कट्टरपंथी इस्लामी तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। हालांकि इस कट्टरपंथी संगठन का दावा है कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जे के बाद से वह काफी बदल चुका है। इसके बावजूद इसी समय से देश के सभी विश्वविद्यालयों को बलपूर्वक बंद करा दिया गया था और उनके बंद होने से पहले लड़कियों की कक्षा अलग से कराने का प्रविधान किया गया था।
कई प्रांतों में लड़कियां नहीं जा पा रहीं स्‍कूल
हालांकि अभी भी हाईस्कूल की लड़कियों को अभी भी बहुत से प्रांतों में स्कूल का मुंह देखने को नहीं मिला है। कई निजी विश्वविद्यालय भी देश में खुल चुके हैं, लेकिन वहां तक छात्राओं का पहुंच पाना अब तक संभव नहीं हुआ है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में दो फरवरी से सभी विश्वविद्यालय खोले जाने के लिए तालिबान प्रशासन की प्रशंसा की है।
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