तालिबान का नया फरमान: 'वो लड़कियां जो शरारती हैं, उन्हें घर में ही रहना चाहिए'
उनकी स्कूल की यूनिफॉर्म शरिया और अफगान की परंपरा और संस्कृति के हिसाब से तय नहीं हो जाती है.
अफगानिस्तान के कार्यकारी आंतरिक मंत्री और तालिबान के सह-उपनेता सिराजुद्दीन हक्कानी ने अपना वादा निभाते हुए घोषणा की है कि तालिबान लड़कियों को हाइस्कूल तक पढ़ने जाने की इजाजत देगा. इस वादे के पूरा न होने की वजह से तालिबान सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान सरकार ने कहा था कि वह अपने कट्टरवादी रुख के बजाए जनता के लिए उदार रवैया अपनाएगी, लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंनें अपने फैसले को उलटते हुए लड़कियों के स्कूल जाने पर अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी लगा दी थी.
जब हक्कानी से यह पूछा गया कि तालिबान के शासन में लड़कियां घर से बाहर निकलने में डरती हैं, तो उनका जवाब था शरारती लड़कियों को घर में ही रहना चाहिए. उन्होंनें अपनी बाद बढ़ाते हुए कहा शरारती लड़कियों से मतलब ऐसी महिलाओं से है जो दूसरे के कहने पर सरकार पर सवाल उठाती रहती हैं. बता दें कि सिराजुद्दीन हक्कानी अमेरिकी गुप्तचर संस्था एफबीआई में वांछित लोगों की सूची में है और अमेरिका के विदेश विभाग ने उसे एक वैश्विक आंतकवादी घोषित किया हुआ है जिसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है.
उन्होंनें सीएनएन को बगैर कोई निश्चित समय बताते हुए कहा कि 6वीं कक्षा तक की लड़कियां तो पहले से ही स्कूल जा रही हैं और उसके ऊपर की कक्षा को लेकर भी ऊपरवाले ने चाहा तो जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिलेगी. लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर हक्कानी ने कहा कि हमने किसी महिला पर हिजाब पहनने को लेकर दबाव नहीं बनाया है, बल्कि हमने उन्हें सलाह दी है, और हिजाब को लेकर उन्हें उपदेश दिया जाता है कि हिजाब जरूरी नहीं है, लेकिन यह एक इस्लामी आदेश है जिसे सभी को मानना चाहिए.
तालिबान के कब्जा करने के बाद कक्षा 6 तक की अफगानी लड़कियों के स्कूल मार्च में खुलने थे लेकिन फिर उन्हें तब तक घर पर रहने को कहा जब तक उनकी स्कूल की यूनिफॉर्म शरिया और अफगान की परंपरा और संस्कृति के हिसाब से तय नहीं हो जाती है.