तालिबान का बड़ा बयान, दानिश सिद्दीकी की मौत पर कहा- वो दुश्मन सेना के साथ थे...
तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता और कमांडर मौलाना यूसुफ अहमदी ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा
तालिबान (Taliban) के प्रवक्ता और कमांडर मौलाना यूसुफ अहमदी ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या में समूह का कोई हाथ नहीं था. दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) की हत्या मामले में तालिबान अपनी भूमिका से लगातार इनकार कर रहा है. भारतीय पत्रकार की मौत अफगानिस्तान (Afghanistan) के स्पिन बोल्दक में तालिबान के हमले में हो गई थी. वो तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में रिपोर्टिंग कर रहे थे. उनकी हत्या के बाद वैश्विक स्तर पर आतंकी समूह को आलोचना का सामना करना पड़ा था, इसी वजह से वो अब इस मामले से पल्ला झाड़ रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान के 85 फीसदी हिस्से पर समूह ने कब्जा कर लिया है. जल्द ही 15 फीसदी हिस्से पर भी कब्जा कर लेंगे. प्रवक्ता ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई समर्थन के दावों को खारिज करते हुए कहा कि तालिबान ये लड़ाई अपने दम पर लड़ रहा है और आगे भी अपने दम पर ये लड़ाई जारी रखी जाएगी.
यहां आने से पहले हमसे संपर्क करें पत्रकार
प्रवक्ता ने कहा कि बच्चों और महिलाओं को तालिबान से डरने की जरूरत नहीं है. उन्हें उनके सभी अधिकार दिए जाएंगे. दानिश के सिद्दीकी की हत्या के सवाल पर तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि हम अफगान पत्रकारों के संपर्क में हैं. अगर किसी पत्रकार को यहां आना है तो पहले हमसे संपर्क करे. हमने उन्हें (दानिश सिद्दीकी) नहीं मारा, वो दुश्मन सेना के साथ थे.
तालिबान ने दावा किया कि दुश्मन सेना उन्हें बदनाम कर रही है. वो इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा रही है जबकि समूह सिर्फ कैंप और पोस्ट को निशाना बना रहा है ताकि दोबारा उनका इस्तेमाल ना किया जा सके. अहमदी ने दावा किया कि तालिबान अस्पतालों और स्कूलों को टारगेट नहीं कर रहा है.
तालिबान नहीं चाहता है 'शांति'
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मंगलवार को ईद पर एक भाषण में कहा कि हाल ही में तालिबान (Taliban) की ओर से उठाए गए कदम से पता चलता है कि समूह का शांति के लिए 'कोई इरादा नहीं है' और आगे चलकर सरकार इसी के आधार पर फैसला लेगी. गनी ने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के एक उच्च पदस्थ प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए दोहा (Doha) भेजने का फैसला 'अंतिम चेतावनी' थी. अफगान राष्ट्रपति ने कहा कि इस वक्त राष्ट्रीय समर्थन और राष्ट्रीय रक्षा की आवश्यकता है और कहा कि अफगानिस्तान का भविष्य अफगानिस्तान में और अफगानों द्वारा बनाया जाएगा.