तालिबान ने लिया यू-टर्न, अपने सिद्धांत से ही कर डाला समझौता
संरक्षित करना चीनी निवेश में अरबों डॉलर को आकर्षित करने की कुंजी है.
तालिबान शासन ने भविष्य में अपनी आर्थिक चिंताओं से निजात पाने के लिए अपनी आइडियोलॉजी में यू-टर्न ले लिया है. वह अब उन बौद्ध प्रतिमाओं के संरक्षण में लगा है जिसे कभी उसने ही ढहाया था. ऐसा वह चाइनीज मनी को अट्रैक्ट करने के लिए कर रहा है क्योंकि चीन में बौद्ध धर्म की प्रमुखता है.
तालिबान ने लिया यू-टर्न
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान जिन्होंने बामियान में प्रसिद्ध और प्राचीन बुद्ध की मूर्तियों को गैर-इस्लामी बताते हुए नष्ट कर दिया था. अब इस क्षेत्र में चीनी निवेश पर नजर रखते हुए एक प्राचीन बौद्ध शहर के अवशेषों को संरक्षित करने में इंटरेस्ट दिखाया है.
मेस अयनक में मिले तांबे के विशाल भंडार
दरअसल, अफगानिस्तान के मेस अयनक में तांबे का विशाल भंडार मिला है जिसकी वैल्यू एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है. इस तांबे को निकालने के लिए चीनी कंपनियां सक्षम हैं. तालिबान के पास ऐसी तकनीक नहीं है जिससे वह तांबे के इस भंडार को निकाल सके.
आइडियोलॉजी को ताक में रखकर तालिबान ले रहा फैसला
इस वजह से अब तालिबान अपनी आइडियोलॉजी को ताक में रखकर मेस अयनक की बौद्ध प्रतिमाओं के संरक्षण में लगा है. तालिबान अब ये भी कह रहा है कि प्राचीन बौद्ध खंडहरों को नुकसान पहुंचाए बिना तांबा निकालने के तरीके तलाशे जा रहे हैं.
सिल्क रूट पर स्थित एक प्राचीन शहर है मेस अयनक
माना जाता है कि अफगानिस्तान में मेस अयनक के खंडहर सिल्क रूट पर स्थित एक प्राचीन शहर के हैं. इस साइट की खोज 1960 में फ्रांसीसी भूवैज्ञानिकों ने की थी. इस मामले में एक तालिबान अधिकारी ने कहा कि मेस अयनक खंडहरों को संरक्षित करना चीनी निवेश में अरबों डॉलर को आकर्षित करने की कुंजी है.