काबुल पर मंडरा रहा है तालिबानी खतरे का साया, 90 दिनों में हो सकता है कब्जा
अफगानिस्तान में तालिबान लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है
वाशिंगटन (रायटर्स)। अफगानिस्तान में तालिबान लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए ही अफगान सेना और अफगानिस्तान की सरकार का दायरा काफी सीमित होता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि अमेरिकी और अफगान एयर फोर्स मिलकर तालिबानी आतंकियों पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है। इन हमलों में काफी संख्या में तालिबानी आतंकी मारे भी गए हैं और भारी मात्रा में गोला बारूद भी नष्ट हुआ है। इसके बावजूद तालिबान का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने खुफिया एजेंसियों के हवाले से बताया है कि तालिबान तीन माह के अंदर देश की राजधानी काबुल पर कब्जा कर इसको अन्य इलाकों से अलग कर सकता है। इस अधिकारी ने रायटर्स से हुई बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया है। हालांकि एजेंसी ने इस अधिकारी की पहचान को उजागर नहीं किया है।
इस अधिकारी का कहना है कि ये आकलन तालिबान के ताजा हमलों की तीव्रता और उसके तेजी से आगे बढ़ने के आधार पर लगाया गया है। हालांकि, उन्होंने ये भी माना है कि ये आकलन अंतिम नहीं है। अफगान सेना यदि तालिबान पर हमले में तेजी लाती है तो ये बाजी पलट भी सकती है। अधिकारी के मुताबिक, तालिबान देश के करीब 65 फीसद इलाके पर अपना कब्जा जमा चुका है। वहीं, यूरोपीय संघ के अधिकारी का कहना है तालिबान ने अफगानिस्तान के 11 प्रांतों की राजधानियों पर या तो कब्जा कर लिया है या उन पर इसका खतरा मंडरा रहा है। आपको बता दें कि अफगान सेना के साथ मिलकर कुछ पूर्व मुजाहिद्दीन नेता के गुट के लड़ाके भी तालिबान से लोहा ले रहे हैं। इसके अलावा कुछ जगहों पर स्थानीय सेना के जरिए भी तालिबान को चुनौती पेश की जा रही है।
अब तक देश के करीब आठ राज्यों की राजधानियों पर तालिबान का पूरा कब्जा हो चुका है। बुधवार को जारी जंग के बाद तालिबान ने बादकशां प्रांत की राजधानी फैजाबाद को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है। कंधार में तालिबान और अफगान सेना के बीच भीषण जंग चल रही है। काफी संख्या में अस्पतालों में घायल फौजी और स्थानीय लोग पहुंच रहे हैं। रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया हे कि काबुल की पूरी तरह से किलेबंदी कर दी गई है। इस तरफ आने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है। सूत्रों ने इस बात का अंदेशा जताया है कि तालिबान यहां पर मौजूद दूतावासों और अन्य सरकारी दफ्तरों पर हमला कर सकता है। तालिबान डरा कर या मार कर यहां पर मौजूद लोगों को बाहर करना चाहता है।
अफगानिस्तान में चल रही खूनी जंग पर संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। यूएन ने बताया है कि पिछले एक माह में ही यहां पर एक हजार से अधिक स्थानीय लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा रेड क्रॉस ने बताया है कि मौजूदा माह में ही 4,042 लोग इस लड़ाई में घायल हुए हैं। ब्राउन यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक अफगानिस्तान में दो दशकों के दौरान कम से कम 47,245 नागरिकों की मौत हुई है। इसके अलावा इस लड़ाई में अब तक 66,000-69,000 अफगान सैनिक भी मारे गए हैं। दो दशक तक यहां पर रहने वाली अमेरिकी सेना के भी करीब 2,442 सैनिक और 3,800 निजी सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान गंवाई है। यहां पर नाटो के 40 सदस्य राष्ट्रों के 1,144 कर्मी भी विभिन्न हमलों में मारे गए हैं। हालांकि स्थानीय लोगों पर हुए हमलों की बात से तालिबान साफ इनकार करता रहा है। बुधवार को भी तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि उन्होंने कभी स्थानीय लोगों को निशाना नहीं बनाया है। बता दें कि अमेरिका ने दो दशकों के दौरान यहां पर एक खरब डालर खर्च किए हैं।