तालिबान ने हिरासत में लिए गए यूएन कर्मचारियों को किया रिहा, अमेरिका ने अफगान संपत्ति पर लिया फैसला
वह भी तालिबान के खौफ के बीच हैं. हालांकि अभी तक तालिबान की सरकार को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है.
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर) ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान ने शरणार्थी एजेंसी के साथ काम करने वाले दो विदेशी पत्रकारों और सहायता संगठन के कई अफगान कर्मचारियों को राजधानी काबुल (Kabul) में उनकी नजरबंदी के बारे में खबर आने के कुछ घंटे बाद रिहा कर दिया है. तालिबान (Taliban) द्वारा नियुक्त संस्कृति और सूचना उप मंत्री जबीहुल्ला मुजाहिद के एक ट्वीट के बाद यह घोषणा की गई.
मुजाहिद ने कहा कि उन्हें हिरासत में इसलिए लिया गया था क्योंकि उनके पास ऐसे दस्तावेज नहीं थे जो उनके यूएनएचसीआर के कर्मचारी होने की पुष्टि करते हो. मुजाहिद ने कहा कि उनकी पहचान की पुष्टि होने के बाद उन्हें मुक्त कर दिया गया. जिनेवा स्थित संगठन ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, 'हम यूएनएचसीआर के साथ काम करने वाले दो पत्रकारों और उनके साथ काम कर रहे अफगान नागरिकों की काबुल में रिहाई की पुष्टि करते हुए राहत महसूस कर रहे हैं. हम उन सभी के आभारी हैं, जिन्होंने चिंता व्यक्त की और मदद की पेशकश की। हम अफगानिस्तान के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
अमेरिका ने अफगान संपत्ति पर लिया फैसला
काबुल में यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें वादा किया गया है कि अमेरिका में जब्त अफगानिस्तान की सात अरब डॉलर की संपत्ति में से 3.5 अरब डॉलर राशि को अमेरिका के 9/11 पीड़ितों के परिवारों को दिया जाएगा. अन्य 3.5 अरब डॉलर अफगान सहायता के लिए जारी किए जाएंगे. यह आदेश अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को मानवीय समूहों को धन देने की सुविधा देगा, जिसे सीधे अफगान लोगों को दिया जाएगा.
बीते साल किया था अफगानिस्तान पर कब्जा
तालिबान ने अफगानिस्तान पर बीते साल 15 अगस्त वाले दिन कब्जा कर लिया था. इसी दिन पश्चिम समर्थित सरकार भी गिर गई. जिसके बाद से यहां तानाशाही जारी है. तालिबान ने सत्ता हाथ में आते ही महिलाओं से उनके अधिकार छील लिए. लड़कियों के स्कूल में प्रवेश पर रोक लगा दी. इसके बाद महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर खूब विरोध प्रदर्शन भी किया. बड़ी संख्या में लोगों ने देश छोड़ दिया है. जो रह रहे हैं, वह भी तालिबान के खौफ के बीच हैं. हालांकि अभी तक तालिबान की सरकार को वैश्विक मान्यता नहीं मिली है.