छात्राओं के लिए तालिबान ने मजार-ए-शरीफ में खोले हाई स्कूल के दरवाजे
मजार-ए-शरीफ में खोले हाई स्कूल के दरवाजे
पिछले महीने नरगिस व उसकी छोटी बहनों को जब स्कूल लौटने की इजाजत मिली, तो उन्हें बाहरी दुनिया के हिसाब से खुद को तैयार करना पड़ा। मां के निर्देशों के अनुरूप सभी ने काली पोशाक पहनी, जिसमें बुर्का, हेडस्कार्फ व नकाब के साथ फेस मास्क शामिल था। इसके कुछ ही मिनट बाद घबराहट के कारण नरगिस की छोटी बहन हादिया (16) घर में ही बेहोश हो गई। जब वह घर के बाहर निकाली और पहली बार तालिबानियों को देखा तो आंसू छलक पड़े।
अफगानिस्तान के उत्तर में स्थित व्यावसायिक केंद्र मजार-ए-शरीफ में तालिबान ने मिडिल व हाई स्कूल की छात्राओं को कक्षाओं में लौटने की इजाजत दी है, जबकि देश के बाकी हिस्सों की छात्राएं घर में रहने को मजबूर हैं। तालिबान दावा करता रहा है कि इस बार का शासन लड़कियों और महिलाओं के लिए अलग होगा। उन्हें स्नातक व स्नातकोत्तर आदि की पढ़ाई की अनुमति दी जाएगी।
अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्र के कुछ स्कूलों में छात्राओं को प्रवेश की इजाजत दे दी गई है, जहां दक्षिणी क्षेत्र के मुकाबले समाज में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। यह दिखाता है कि तालिबान अलग-अलग प्रांतों के लिए अलग-अलग नीतियां अपना रहा है। हालांकि, अभिभावकों व शिक्षकों के एक बड़े वर्ग को अब भी इस पर संदेह है। वे यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि अबतक अपनी कार्यवाहक सरकार में महिलाओं को जगह न देने और उनके काम करने पर रोक लगाने वाला तालिबान का शासन पहले से अलग होगा।
नरगिस व हादिया की मां शकीला कहती हैं, 'उन्होंने स्कूल खोला है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह महिला शिक्षा को बर्बाद करना चाहते हैं।' शकीला को याद है कि तालिबान के पहले शासन (वर्ष 1996-2001) के दौरान उन्हें लेक्चरर की नौकरी छोड़नी पड़ी थी। तालिबान ने तब लड़कियों के स्कूल जाने और महिलाओं के सार्वजनिक रूप से काम करने पर रोक लगा दी थी।