अफगानिस्‍तान में होगी जल्द होगी तालिबान की सरकार, 34 में से 14 प्रांतों पर किया कब्जा

राजधानी काबुल में भी सरकार मजबूती के साथ काबिज है।

Update: 2021-08-14 08:13 GMT

तालिबान विद्रोहियों तेजी से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की तरफ बढ़ रहे हैं। इस दौरान रास्ते में पड़े वाले प्रांतों पर कब्जा करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों कंधार और लश्करगाह पर पर भी कब्जा करने के बाद तालिबाने ने उरुजगान प्रांत की राजधानी तिरीनकोट और घोर प्रांत की राजधानी फिरोज कोह पर भी कब्जा कर लिया है। एसोसिएटेड प्रेस ने अफगान सांसद के हवाले से बताया है कि तालिबान ने राजधानी काबुल के दक्षिण में लोगार प्रांत पर भी कब्जा कर लिया है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि तालिबान कुछ ही दिन में राजधानी काबुल पर हमला कर सकता है। पश्चिम में हेरात भी कट्टर इस्लामी समूह के कब्जे में आ गया है। काबुल से 80 किलोमीटर दूर लोगर प्रांत में सरकारी बलों और तालिबान के बीच लड़ाई जारी है। तालिबान का दावा है कि उसने देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से 14 पर कब्जा कर लिया है।

शुक्रवार को सरकार को बड़ा झटका देते हुए तालिबान ने प्रमुख शहर कंधार पर कब्जा कर लिया। अफगानिस्तान में कंधार का खास महत्व है। माना जाता है कि कंधार जिसके पास होता है वह ही अफगानिस्तान पर शासन करता है, क्योंकि यह देश का मुख्य व्यापारिक शहर है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है और इसकी प्रांतीय सीमाएं पाकिस्तान व ईरान से लगती हैं। तालिबान के लिए यह शहर इसलिए भी खास है क्योंकि यहीं पर उसका जन्म हुआ था। अमेरिका के ड्रोन हमले में मारे गए मुल्ला उमर ने कंधार में ही तालिबान का गठन किया था।
ईरान की सीमा के नजदीक छह लाख की आबादी वाले हेरात शहर पर भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है। प्रांतीय परिषद के सदस्य गुलाम हबीब हाशिमी ने फोन पर बताया कि का यह शहर हाल के दिनों में भुतहा नजर आने लगा है। यहां की सड़कों पर सन्नाटा है और चारों ओर बर्बादी के निशान है। लोग अपने घर छोड़कर भाग चुके हैं या फिर वे घरों में छिपे हुए हैं।
वहीं, हेरात का शेर कहे जाने वाले तालिबान विरोधी मिलीशिया के प्रमुख मुहम्मद इस्माइल खान को हिरासत में ले लिया गया है लेकिन उनके साथ किसी तरह की बदसलूकी होने की खबर नहीं है। उनकी मिलीशिया के सशस्त्र लड़ाके तालिबान से मिल गए हैं। सरकार ने भी मान लिया है कि दक्षिण का यह व्यापारिक केंद्र अब उसके हाथ से निकल चुका है। हालांकि देश के बड़े शहरों में शुमार मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद पर सरकार का कब्जा बना हुआ है। राजधानी काबुल में भी सरकार मजबूती के साथ काबिज है।

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