अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से संचालन के लिए तालिबान ने पहले तुर्की से तकनीकी मदद मांगी
लेकिन एयरपोर्ट की सुरक्षा और एटीसी के न चलने की वजह से अब वहां पर नागरिक विमान नहीं जा सकते हैं।
अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से यहां पर विमानों की आवाजाही नहीं हो पा रही है। इसके संचालन के लिए तालिबान ने पहले तुर्की से तकनीकी मदद मांगी थी। इसके बाद उसने कतर से भी मदद मांगी है। तुर्की की बात करें तो वो काफी हद तक इसके लिए राजी हो गया था और दोनों की बात भी इस मुद्दे पर चल रही थी। लेकिन तुर्की का कहना था कि काबुल एयरपोर्ट की हालत ऐसी नहीं है कि कमर्शियल फ्लाइट शुरू की जा सकें। इसलिए इसकी मरम्मत की जरूरत है। इसके बाद ही यहां से विमानों की आवाजाही शुरू की जा सकेगी।
आपको बता दें कि तालिबान ने तुर्की से केवल तकनीकी मदद देने की अपील की थी। तालिबान का कहना था कि हमें आपकी सेना की जरूरत नहीं है। एयरपोर्ट की सुरक्षा का दायित्व उनके पास होगा। इस बीच तालिबान ने कतर से भी इसी तरह की मदद मांगी है।
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन येवेस ले ड्रायन ने कहा है कि ये कवायद इसलिए की जा रही है जिससे देश छोड़कर जाने की इच्छा रखने वाले अफगानी दूसरे देशों में जा सकें। उनके मुताबिक तालिबान चाहता है कि जल्द से जल्द इस एयरपोर्ट से कमर्शियल फ्लाइट शुरू की जा सके। सुरक्षा परिषद ने भी काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई थी और इससे जल्द संचालन शुरू करने की अपील की थी।
अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने साफ कर दिया है कि काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा को देखते हुए और वहां पर एयर ट्रेफिक कंट्रोलर के चालू न होने की वजह से उनके पायलट और विमानों को अफगानिस्तान जाने से रोक दिया गया है। एफएए ने अपने विमानों को अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल बिना पूर्व सूचना और मंजूरी के बिना करने से मना किया है। हालांकि माना जा रहा है कि अमेरिका एक सुरक्षित ऊंचाई से अपने लड़ाकू विमानों को वहां से गुजार सकता है। ऐसा अफगानिस्तान की स्थिति का जायजा लेने के लिए किया जा सकता है।
गौरतलब है कि मंगलवार को ही जो बाइडन ने कहा था कि उनके करीब 200 नागरिक काबुल में हैं। इन्होंने स्वेच्छा से वहां पर ही रुकना स्वीकार किया है। इन अमेरिकियों के वहां पर परिवार हैं, जिसकी वजह से ये वहां पर रुक गए हैं। बाइडन ने ये भी साफ कर दिया है कि यदि ये लोग वापस आना चाहेंगे तो वो इनकी पूरी मदद के लिए तैयार है। अमेरिका के अलावा कुछ और देशों के भी नागरिक अभी अफगानिस्तान में बचे हुए हैं। लेकिन एयरपोर्ट की सुरक्षा और एटीसी के न चलने की वजह से अब वहां पर नागरिक विमान नहीं जा सकते हैं।