तालिबान ने ओस्लो वार्ता को सफल बताया

सत्ता में लौटने के बाद अपनी पहली यूरोप यात्रा पर तालिबान ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट को लेकर सोमवार को ओस्लो में पश्चिमी अधिकारियों के साथ वार्ता की. तालिबान ने अधिकारियों के साथ बैठक को "अपने आप में सफलता" बताया है.

Update: 2022-01-25 06:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सत्ता में लौटने के बाद अपनी पहली यूरोप यात्रा पर तालिबान ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट को लेकर सोमवार को ओस्लो में पश्चिमी अधिकारियों के साथ वार्ता की. तालिबान ने अधिकारियों के साथ बैठक को "अपने आप में सफलता" बताया है.सोमवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के साथ तालिबान के प्रतिनिधियों ने बातचीत की. तालिबान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्की कर रहे हैं. सोमवार को हुई वार्ता में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, यूरोपीय संघ और नॉर्वे के प्रतिनिधि मौजूद रहे. वार्ता के अंत में अमीर खान मुतक्की ने संवाददाताओं से कहा कि पश्चिमी अधिकारियों के साथ बैठक "अपने आप में एक सफलता" है.

रविवार को तालिबान और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के बीच सीधी बैठक के साथ वार्ता शुरू हुई थी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हालांकि जोर देकर कहा है कि तालिबान को सहायता फिर से शुरू करने से पहले मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि भूख से अफगानिस्तान की आधी से अधिक आबादी को खतरा है. "सबको साथ आना होगा" तालिबान के विदेश मंत्री मुतक्की ने संवाददाताओं से कहा, "नार्वे द्वारा इस अवसर को देखते हुए यह अपने आप में एक उपलब्धि है क्योंकि हमने दुनिया के साथ मंच साझा किया है" उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि इन बैठकों से अफगानिस्तान के मानवीय, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों समर्थन मिलना निश्चित है" इस बीच उप सूचना मंत्री और तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बैठक के बाद एक ट्वीट में कहा, "बैठक के प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि समझ और संयुक्त सहयोग अफगानिस्तान की सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है" उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी अफगानों को साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "देश में बेहतर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा परिणामों के लिए एक साथ आना होगा" नॉर्वे की आलोचना नॉर्वे के निमंत्रण पर ओस्लो में तालिबान के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में तालिबान के सबसे हिंसक धड़े हक्कानी नेटवर्क के नेता अनस हक्कानी शामिल हैं. उन पर अफगानिस्तान में कुछ सबसे विनाशकारी हमलों को अंजाम देने का आरोप लगता आया है.
अनस को अमेरिका ने कुछ वर्ष तक बगराम बंदी केंद्र में बंद रखा था और साल 2019 में बंदियों की अदला-बदली के दौरान रिहा किया था. अनस के आने और बैठक में शामिल होने की सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है. एक स्थानीय मीडिया सूत्र के अनुसार नॉर्वे में रहने वाले एक अफगान ने ओस्लो में हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. हालांकि नॉर्वे की विदेश मंत्री अन्नीकेन हुइटफेल्ट ब्रॉडकास्टर एनआरके से कहा, "यह एक ऐसा देश है जो दशकों से युद्ध में है. और अगर आप ऐसे लोगों से मिलना चाहते हैं जो कुछ मायनों में वास्तव में अफगानिस्तान पर शासन करते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है, इसलिए आपको उम्मीद करनी होगी कि उनमें से कुछ के हाथ खूनी होंगे" 20 साल बाद पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति बिगड़ती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय सहायता अचानक बंद होने से लाखों लोग भूखे मर रहे हैं. अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने एक ट्वीट में कहा, "जैसा कि हम मानवीय संकट को दूर करने के लिए सहयोगियों, भागीदारों और सहायता संगठनों के साथ काम करते हैं, हम एक स्थिर, सम्मानजनक और समावेशी अफगानिस्तान चाहते हैं" अभी तक किसी भी देश ने अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दी है, लेकिन तालिबान को उम्मीद है कि इस तरह की बैठक से उनकी सरकार को मान्यता हासिल करने में मदद मिलेगी. हालांकि नॉर्वे की विदेश मंत्री ने कहा कि वार्ता "तालिबान की वैधता या मान्यता को नहीं दर्शाती है, लेकिन मानवीय आपातकाल के कारण हमें देश के वास्तविक अधिकारियों से बात करनी चाहिए" इस बीच अफगान प्रवासियों के समूहों ने तालिबान को आमंत्रित करने के लिए नार्वे सरकार की आलोचना की है. उन्होंने राजधानी ओस्लो में विदेश मंत्रालय के कार्यालय के बाहर भी प्रदर्शन किया. एए/सीके (एएफपी, एपी)


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