अब तक गायब है तालिबान प्रमुख 'हिबतुल्लाह अखुंदजादा', क्या पाकिस्तान में है कैद?
अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है और नई सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू हो गई है
Where is Hibatullah Akhundzada: अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है और नई सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू हो गई है. संगठन के सभी बड़े नेताओं के बयान या तस्वीरें सामने आ रही हैं, लेकिन इसका प्रमुख मौलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा अब भी गायब है. इसे लेकर हैरानी इसलिए जताई जा रही है, क्योंकि अखुंदजादा भी संगठन के प्रभावशाली नेताओं में शामिल है. वह कथित तौर पर मई 2016 में ही गायब हो गया था और इस बारे में किसी को नहीं पता कि वो कहां है. उसे तालिबान (Taliban) में एकता बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है.
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को तीन साल पहले अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान की जेल से रिहा किया गया था, अब वह नई सरकार में अहम पद प्राप्त कर सकता है (Is Hibatullah Akhundzada Alive). लेकिन अखुंदजादा का कोई जिक्र तक नहीं कर रहा. बीते दिनों रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा पाकिस्तान सेना की हिरासत में है. संगठन के ही एक सदस्य ने बताया कि अखुंदजादा को बीते छह महीने से नहीं देखा गया है. उसने बताया कि मई में उसने (अखुंदजादा) ईद के मौके पर एक बयान जारी किया था. हालांकि ये बयान अखुंदजादा ने ही जारी किया था, ये बात साबित नहीं हो पाई है.
अमेरिकी हमले में मारा गया पूर्व प्रमुख
साल 2016, मई में तालिबान के पूर्व प्रमुख अख्तर मंसूर की अमेरिकी हवाई हमले में मौत होने के बाद अखुंदजादा को ये पद दिया गया था. उसे आमिर-अल-मोमिनीन (वफादारों का कमांडर) की उपाधि दी गई है (About Hibatullah Akhundzada). वह नूरजई जनजाति से ताल्लुक रखता है और अतीत में अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की शरिया अदालतों के प्रमुख के रूप में कार्य कर चुका है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान उसने ऐसे फैसले दिए, जिनमें हत्या के आरोपियों को सार्वजनिक फांसी और चोरी करने वालों के हाथ-पैर काटने के आदेश शामिल थे.
फरवरी में आई थी मौत की खबर
अखुंदजादा अफगानिस्तान के कंधार प्रांत का एक धार्मिक विद्वान और कट्टरपंथी हैं. वह 1980 के दशक में अफगानिस्तान पर सोवियत आक्रमण के समय इस्लामी प्रतिरोध में शामिल था, लेकिन उसे एक सैन्य कमांडर कम और धार्मिक विद्वान अधिक माना जाता है. इससे पहले इसी साल फरवरी महीने में ऐसी जानकारी सामने आई थी कि अखुंदजादा की मौत हो गई है. रिपोर्ट्स में कहा गया कि तालिबानी प्रमुख की मौत अभी नहीं बल्कि महीनों पहले अप्रैल 2020 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक धमाके के कारण हुई थी.
मौत की खबरें छिपाता है तालिबान
ऐसी संभावना है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा की मौत पहले ही हो गई है लेकिन तालिबान इसे छिपा रहा है, ताकि संगठन दुनिया के सामने कमजोर ना दिखाई दे. इससे पहले भी वो ये कर चुका है. अख्तर मंसूर को भी तालिबान के संस्थापक नेता मुल्ला उमर की 2013 में हुई मौत के बाद संगठन के प्रमुख का पद मिला था. लेकिन उमर की मौत की घोषणा 2015 में की गई. जब भी मौत से जुड़ी रिपोर्ट्स आती हैं, तो तालिबान उसे सिरे से खारिज कर देता है. हश्त-ए-शुभ अखबार ने एक सूत्र के हवाले से बताया था कि अखुंदजादा की मौत क्वेटा के एक घर में धमाका होने के कारण हुई है. लेकिन फिर तालिबानी नेता अहमदुल्लाह वासिक (Ahmadullah Wasiq on Akhundzada) ने इसे 'झूठी और आधारहीन अफवाहें' करार दिया.
बेटा और भाई भी मारे गए
साल 2017 में अखुंदजादा का बेटा अब्दुर रहमान (23) आत्मघाती हमले में मारा गया था (Hibatullah Akhundzada Son). जो अफगानिस्तान के हेल्मंद प्रांत में हुआ था. रहमान को हाफिज खालिद के नाम से भी जाना जाता था. प्रांतीय राजधानी लश्कर गाह के उत्तर में गेरेशक शहर में एक अफगान सैन्य अड्डे को निशाना बनाते समय विस्फोटकों से लदे वाहन को चलाते हुए रहमान की मौत हुई थी. इसकी जानकारी तालिबान के मुख्य प्रवक्ता कारी यूसुफ अहमदी ने दी थी. वहीं उसका भाई हाफिज अहमदुल्लाह (Hafiz Ahmadullah) क्वेटा से 25 किलोमीटर दूर एक मस्जिद में 16 अगस्त, 2019 में मारा गया था.