ताइवान राष्‍ट्रपति ने दी चीन को खुली चुनौती, बोली- करते रहेंगे हांगकांग की आजादी का समर्थन

ताइवान की राष्‍ट्रपति साई इंग वेन ने कहा है

Update: 2021-06-25 16:20 GMT

ताइपे, ताइवान की राष्‍ट्रपति साई इंग वेन ने कहा है कि एक आजाद हांगकांग के लिए उनके देश का समर्थन हमेशा उन्‍हें मिलता रहेगा। राष्‍ट्रपति वेन ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक अखबार एप्‍पल डेली के बंद होने पर भी अफसोस जाहिर किया है। आपको बता दें कि इस अखबार के पांच संपादकों को हांगकांग की सरकार ने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर राष्‍ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के संदेह पर हिरासत में लिया है। इतना ही नहीं अखबार से जुड़ी करीब डेढ़ करोड़ डॉलर की संपत्ति को भी सीज कर दिया गया है। इस अखबार का आखिरी संस्‍करण गुरुवार को प्रकाशित हुआ था।

अखबार के बोर्ड ऑफ डायरेक्‍टर ने सरकार को एक पत्र लिखकर कुछ फंड रिलीज करने की अपील की थी जिससे इस अखबार के कर्मचारियों की तनख्‍वाह वगैरह दी जा सके। इस अखबार के बंद होने के बाद राष्‍ट्रपति वेन ने अपनी फेसबुक पोस्‍ट में इसको बेखौफ बताते हुए लिखा है कि ये वहां की ऑथरिटी के नियमों और कानूनों से नहीं डरा और लगातार हांगकांग की आजादी के लिए अपना काम करता रहा।
वेन ने हांगकांग को आजादी के लिए खुला समर्थन देने की घोषणा करते हुए कहा है कि आजादी और लोकतंत्र उनकी जड़ों में बसा है और उनके दिलों में धड़कता है। एक दिन आएगा जब इसका सपना सच होगा ये पर्ल ऑफ ऑरिएंट के रूप में चमक उठेगा। राष्‍ट्रपति वेन की इस घोषणा से पहले अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने भी एप्‍पल डेली के बंद होने पर अफसोस जताया था। एजेंसी के मुताबिक एप्‍पल डेल के आखिरी अंक को खरीदने के लिए लोग रात भर जुटे रहे। कई जगहों पर इसको खरीदने के लिए लंबी कतारें भी लगी दिखाई दी। साउथ चाइना पोस्‍ट के हवाले से एएनआई ने बताया है कि गुरुवार को रात करीब पौने बारह बजे इसके एग्‍जीक्‍यूटिव एडिटर इन चीफ लाम मेन चंग ने इसके अंतिम संस्‍करण को प्रिंटिंग के लिए भेजा।
बताया जा रहा है कि ताइवान के हांगकांग को समर्थन दिए जाने की घोषणा से चीन का चिढ़ना तय है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि चीन ताइवान को अपना अंग बताता आया है। इसलिए ताइवान की तरफ से हांगकांग को लेकर सामने आया बयान उसकी चिंता को बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि ताइवान पहले भी इस तरह के बयान हांगकांग को लेकर देता रहा है। इस वजह से कई बार चीन ने उसको खुली धमकी भी दी है। इस बार का बयान भी चीन को ताइवान की खुली चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
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