ताइवान ने लिथुआनिया में किया बड़ा निवेश, लिथुआनिया को मिला चीन का साथ छोड़ने का इनाम

Update: 2022-01-12 10:30 GMT

ताइवान यूरोपीय देश लिथुआनिया के लिए एक बिलियन डॉलर का क्रेडिट फंड बनाने जा रहा है. इसके तहत लिथुआनिया और ताइवानी कंपनियों को नए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए कर्ज मुहैया कराया जाएगा. पिछले हफ्ते भी ताइवान लिथुआनिया में 200 मिलियन डॉलर का निवेश करने का एलान कर चुका है. ये घोषणा ऐसे वक्त में हो रही है जब लिथुआनिया पर चीनी दबाव बढ़ता जा रहा है.

दरअसल नवंबर 2021 में लिथुआनिया ने ताइवान को राजधानी विलनिअस में ताइवानी प्रतिनिधि का दफ्तर खोलने की इजाजत दी थी. यह एक दूतावास की तरह ही है जिसमें चाइनीज ताइपे की जगह ताइवान नाम लिखा है. 'वन चाइना' नीति के तहत चीन ताइवान को अलग राष्ट्र नहीं मानता. चीन हमेशा से ताइवान को मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय समर्थन का विरोध करता रहा है. ताइवान का प्रतिनिधि दफ्तर खोलने के बाद चीन के लिथुआनिया पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे और यहां से होने वाले आयात पर पाबंदी लगा दी थी.


इस मामले पर लिथुआनिया और चीन के रिश्तों में दरार इतनी बढ़ गई थी कि चीन ने अगस्त 2021 में लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था. लिथुआनिया के इस कदम से पहले चीन इसका तेरहवां बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जबकि ताइवान इस सूची में 65वें नंबर पर था. 28 लाख की आबादी वाला लिथुआनियायूरोपीय संघ और नाटो का सदस्य है. लिथुआनिया के इस कदम को अब तक अमेरिका का पूरा साथ मिला है. व्यापार और कूटनीति संबंधी चर्चाओं के लिए लिथुआनिया के सरकारी नुमाइंदे लगातार वॉशिंगटन जाते रहे हैं.

लिथुआनिया को उम्मीद है कि इस नए फंड से सेमी-कंडक्टर, लेजर, सैटेलाइट तकनीक और बायोटेक्नॉलजी क्षेत्र में निवेश किया जाएगा. ताइवान ने भी कहा है कि निवेश योजना और क्रेडिट फंड ताइवान और लिथुआनिया के बीच औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाली किसी भी परियोजना के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.


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