तालिबान और आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट खुरासान प्रांत के बीच तलवारें खिंच, सिखों के हत्‍यारे ISKP ने दी धमकी

तालिबानी प्रस्‍ताव में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक व्‍यवस्‍था के रास्‍ते पर चल रहा है और इसमें सशस्त्र विरोध को विद्रोह या भ्रष्‍टाचार माना जाएगा।

Update: 2022-07-04 06:26 GMT

अफगानिस्‍तान में सत्‍ता में आने के बाद अब तालिबान और अंतरराष्‍ट्रीय आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट खुरासान प्रांत (ISKP) के बीच तलवारें खिंच गई हैं। तालिबान ने काबुल में आयोजित उलेमाओं के ग्रैंड जिरगा में आईएसकेपी को एक भ्रष्‍ट 'संप्रदाय' करार दिया है। तालिबान ने अफगान जनता को चेतावनी दी है कि वे आईएसकेपी से संपर्क न करें। इस बीच तालिबान के बयान पर आईएस आतंकी भड़क गए हैं और उन्‍होंने इस जिरगा में शामिल में होने वाले सभी उलेमाओं को चेतावनी दी है। उसने कहा कि अब तालिबान के साथ जंग खूनी चरण में पहुंच गया है।



तालिबानी उलेमाओं के भ्रष्‍ट बताने पर आईएसकेपी ने एक बयान जारी करके 7 पन्‍नों की चेतावनी दी है। यह चेतावनी उन सभी उलेमाओं को दी गई जिन्‍होंने ग्रैंड जिरगा में हिस्‍सा लिया था। इसमें कहा गया है कि तालिबान का दावा है कि वह पूरे अफगानिस्‍तान पर राज करता है, इसके बाद भी आईएसकेपी ने अफगान जमीन से ताजिकिस्‍तान, उज्‍बेकिस्‍तान और पाकिस्‍तान पर हमले कर चुका है। इसमें धमकी दी गई है कि अफगानिस्‍तान में जंग खूनी चरण में प्रवेश कर गई है, अब इंतजार करें और देखें।

इस तालिबानी बैठक के दौरान भी आईएसकेपी ने हमले करके अपनी ताकत दिखाई थी। इससे पहले तालिबान ने एक प्रस्‍ताव पारित करके कहा, 'हम देश आह्वान करते हैं कि बगावत करने वाला आईएसकेपी आज के दौर में अमान्‍य है और एक झूठा संप्रदाय है। यह हमारे इस्‍लामिक देश में भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा दे रहा है। उससे किसी भी तरह के रिश्‍ते रखने या मदद करने पर मनाही है।' यह प्रस्‍ताव तीन दिन चले ग्रैंड जिरगा के बाद जारी किया गया जिसमें बढ़ी संख्‍या में उलेमा और वरिष्‍ठ तालिबानी नेताओं ने हिस्‍सा लिया।

आईएसकेपी पिछले कुछ वर्षों से अफगानिस्‍तान में सक्रिय है। यह आईएसआईएस की एक शाखा है। आईएसकेपी ने अब तक अफगान नागरिकों खासकर हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं। पिछले दिनों के काबुल के गुरुद्वारे पर हमले के पीछे भी आईएसकेपी का हाथ था। माना जाता है कि पाकिस्‍तान ने आईएसकेपी को खड़ा किया है ताकि तालिबान पर लगाम बनाए रखी जा सके। तालिबानी प्रस्‍ताव में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक व्‍यवस्‍था के रास्‍ते पर चल रहा है और इसमें सशस्त्र विरोध को विद्रोह या भ्रष्‍टाचार माना जाएगा।

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