गृहयुद्ध से जूझ रहा सूडान, फंसे है 4 हजार भारतीय

Update: 2023-04-20 02:13 GMT

सूडान। आसमान में गरजते एयरक्राफ्ट, सड़कों पर घूमते टैंक और तबड़तोड़ गोलियां बरसाते सैनिक. सूडान में पिछले एक हफ्ते से हालात ऐसे ही हैं. न्यूज एजेंसी के मुताबिक अब तक इस वॉर में 270 लोग मारे जा चुके हैं. 2,600 लोग गंभीर रूप से घायल हैं. हालात इतने खराब हैं कि जिन अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है, उनमें भी मिसाइल गिरने के मामले सामने आ रहे हैं.

सूडान में सेना और पैरामलिट्री (अर्धसैनिक बल) के बीच भीषण युद्ध चल रहा है. सेना के खिलाफ जंग छेड़ने वाले अर्धसैनिक बल को यहां रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के नाम से जाना जाता है. सेना और RSF के बीच छिड़ी जंग में यहां आम लोग बुरी तरह से पिस रहे हैं. सबसे ज्यादा खराब हालात राजधानी खार्तूम में है. यहां एयरपोर्ट और स्टेशन सहित तमाम अहम ठिकानों पर कब्जे को लेकर लड़ाई जारी है.

52.74 लाख आबादी वाले सूडान के सबसे बड़े शहर खार्तूम के लोग इस समय डर के साये में जी रहे हैं. एयरस्ट्राइक और बमबारी में कई अस्पताल और स्कूल भी जमींदोज हो चुके हैं. सूडान में जंगी मंजर के बीच उन 4 हजार भारतीयों के बारे में बातचीत शुरू हो गई है, जो इस वक्त सूडान में हैं. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या भारत सरकार रेस्क्यू मिशन चलाकर भारतीय नागरिकों को निकालने के बारे में सोचती है तो अभियान चलाना इतना आसान होगा? आइए जानते हैं कि सूडान में रह रहे भारतीयों को निकालना आखिर कितनी बड़ी चुनौती है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सूडान में 4 हजार के आसपास भारतीय हैं. इनमें से 12 ऐसे हैं, जो दशकों से यहां बसे हुए हैं. सूडान में भारतीय दूतावास की वेबसाइट के मुताबिक ज्यादातर भारतीय चार शहरों में बसे हुए हैं. इनमें से एक है ओमडुरमैन (Omdurman), दूसरा है कसाला (Kassala), तीसरा है गेडारेफ (Gedaref) या अल कादरीफ (Al Qadarif) वहीं चौथे शहर का नाम है वाड मदनी (Wad Madani). इनमें से दो शहरों की दूरी राजधानी खार्तूम से 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है तो वहीं एक शहर की करीब 200 किलोमीटर है. एक शहर तो राजधानी से सटा हुआ है और उसकी खार्तूम से दूरी मात्र 25 किलोमीटर है. सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इन चारों शहरों में से किसी में भी इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं है. सूडान में दो ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं. एक राजधानी खार्तूम में तो दूसरा पोर्ट सूडान में है. हालांकि, एयरस्ट्राइक के बीच यहां से लोगों को एयरलिफ्ट करना भी बेहद मुश्किल है. यह तभी संभव है, जब सीजफायर हो जाए.

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