अध्ययन में खुलासा: हवा और पानी में बढ़ा प्रदूषण तो ज्यादा पैदा हुए लड़के, जाने कैसे निकला यह निष्कर्ष
अमेरिका और स्वीडन में 1983 से 2013 के बीच जन्मे करीब 60 लाख बच्चों और वहां हालात के अध्ययन के आधार पर एक नए शोध ने दावा किया है कि हवा और पानी में प्रदूषण बढ़ने पर ज्यादा लड़के पैदा हुए। हालांकि, शोधकर्ता ने सफाई दी है
अमेरिका और स्वीडन में 1983 से 2013 के बीच जन्मे करीब 60 लाख बच्चों और वहां हालात के अध्ययन के आधार पर एक नए शोध ने दावा किया है कि हवा और पानी में प्रदूषण बढ़ने पर ज्यादा लड़के पैदा हुए। हालांकि, शोधकर्ता ने सफाई दी है कि उसने लड़के या लड़की के जन्म के पीछे प्रदूषणकारी तत्व वास्तव में क्या असर डालते हैं, इसके बारे में पता नहीं लगाया है। यह केवल जन्म के आंकड़ों, वातावरण व हालात के आधार पर दिया गया निष्कर्ष है।
हवा और पानी में बढ़ा प्रदूषण, तो ज्यादा पैदा हुए लड़के
शोधकर्ता के अनुसार, वास्तविक स्थिति समझने के लिए मानव कोशिकाओं पर प्रदूषण तत्वों के असर और इनकी जन्म के समय लिंगानुपात में भूमिका के अध्ययन की जरूरत होगी। यह अध्ययन शिकागो विश्वविद्यालय के आंद्रे जेटेस्की ने किया। इसे पीएलओएस कंप्यूटेशनल बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
प्राकृतिक रूप से ऐसा होता है
सदियों से लड़का या लड़की के जन्म को लेकर कई प्रकार के विचार रखे जाते हैं। लेकिन बायोलॉजी के स्तर पर जन्म के समय लिंग निर्धारित करने में पुरुष के क्रोमोसोम, गर्भावस्था में नर या मादा भ्रूण को टर्मिनेट करने वाली हार्मोनल वजहों की भूमिका होती है। कुछ अध्ययनों ने पहले भी प्रदूषण, मौसम, व्यक्ति के मानसिक तनाव के स्तर आदि को भी इससे जोड़ा है।
ऐसे जुटाए आंकड़े
आंद्रे ने अमेरिका में 2003 से 2011 के बीच जन्मे 30 लाख बच्चों के लिए हुए आईबीएम हेल्थ मार्केट स्कैन इंश्योरेंस के दावों और स्वीडन नेशनल पेशेंट रजिस्ट्री में 1983 से 2011 तक दर्ज 30 लाख बच्चों के जन्म के आंकड़ों का विश्लेषण किया। साथ ही इसी अवधि के संबंधित देशों के मौसम, प्रदूषण आदि के आंकड़े भी जुटाए। उन्होंने उम्मीद जताई की यह अध्ययन प्रदूषण को घटाने में प्रोत्साहित करेगा, क्योंकि इससे लिंगानुपात बिगड़ने की भी आशंका है।