अध्ययन: धरती पर करोड़ों साल पहले आए पौधों ने बदला था जलवायु तंत्र

इस समय पृथ्वी (Earth) की जलवायु (Climate) बहुत बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है

Update: 2021-07-17 14:51 GMT

इस समय पृथ्वी (Earth) की जलवायु (Climate) बहुत बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. पृथ्वी के इतिहास और जलवायु के बारे में जब भी अध्ययन होता है तब या तो तापमान या फिर जानवरों के प्रजातियों पर पड़ने वाले प्रभाव का ज्यादा अध्ययन होता है. लेकिन हाल ही में एक अध्ययन में पृथ्वी की जलवायु में जमीन पर ऊगने वाले पौधों की भूमिका सामने आई है. इस शोध से पता चला है कि पृथ्वी के जलवायु नियंत्रण तंत्र (Climate Control System) में 40 करोड़ साल पहले आए बहुत बदलाव में जमीनी पौधों की अहम भूमिका थी.


जलवायु नियंत्रण तंत्र
नेचर में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि 40 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर आने वाले पौधों ने उसके जलवायु नियंत्रण तंत्र को बदल दिया होगा. अमेरिका के यूसीए और येल के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए अध्ययन के नतीजों के अनुसार पृथ्वी के पास जलवायु नियंत्रण के लिए निश्चित तौर से एक प्राकृतिक तरीका रहता होगा जो अब बदल चुका है.
कार्बन चक्र
इस तंत्र के मुताबिक पृथ्वी का कार्बन चक्र उसके लिए एक प्राकृतिक थर्मोस्टेट की तरह काम करता है जिससे वह लंबे समय तक तापमान नियंत्रित करता है. कार्बन चक्र वह प्रक्रिया है जिसके जरिए कार्बन चट्टानों, महासागरों, जीवित प्राणियों से लेकर वायुमंडल में घूमता है. यह सब कुछ एक खास चक्रीय तंत्र बनाता है.

3 अरब साल तक के नमूने
शोधकर्ताओं ने इस चक्र के 3 अरब साल तक की चट्टानों के नमूनो हासिल किए और उनके अध्ययन से पाया कि कैसे यह चक्र 40 करोड़ साल पहले काम करता था जब पौधों के समूह बनने शुरू हुए थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि समुद्र से धरती तक आई मिट्टी ने दुनिया में नाटकीय बदलाव शुरू कर दिए थे. यह मिट्टी 'खनिज मिट्टी फैक्ट्री' से बनी मानी जाती है.

जमीनी और समुद्री मिट्टी
महासागरों में बनी मिट्टी से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है जबकि जमीन पर बनने वाली मिट्टी रासायनिक अपरदन का नतीजा होती है जो हवा में से कार्बन डाइऑक्साइड हटा देती है. इससे ठंडे पौधे बनते हैं और जलवायु में उतार चढ़ाव दिखते हैं क्योंकि यह हवा से कार्बन की मात्रा को कम कर देता है.
दो बड़ी घटनाओं के साथ बदलाव
यूएली अर्थ साइंसेस के डॉ फिलिप पोगे वॉन स्ट्रेंडमैन का कहना है कि उनका अध्ययन सुझाता है कि आज के कार्बन चक्र की कार्य प्रणाली मूल रूप पुरातन काल के कार्बन चक्र प्रणाली से बहुत अलग है. यह बदलाव 90-50 करोड़ साल पहले धीरे धीरे होना शुरू हुआ था. ये दो बड़ी जैविक घटनाओं संबंधित है. पहला धरती पर पौधों के फैलाव है और दूसरा समुद्री जीवों की वृद्धि है जो पानी से सिलिकॉन बाहर निकालते हैं और हड्डी का ढांचा और कोशिका दीवार बनाते हैं.
कार्बन की मात्रा
डॉ फिलिप पोगे का यह भी कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा इस बदलाव से पहले ज्यादा हुआ करती थी. तभी से जलवायु हिम युगों और गर्म कालों के बीच झूल रही है . उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बदलाव विकासक्रम को बढ़ावा देते हैं और उन्होंने ने ही जटिल जीवन के विकास को गति प्रदान की है. शोधकर्ताओं का कहना है कि कम कार्बन संपन्न वायुमंडल बदलाव के लिए ज्यादा संवेदनशील होता है.
शोधकर्ताओं ने चट्टानों में लीथियम आइसोटोप का मापन कर पता लगाया कि कार्बन चक्र में बदलाव का संबंध धरती पर पौधों की वृद्धि और सिलिकॉन का उपयोग करने वाले समुद्र में जीवन में वृद्धि से है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि पौधों के फैलने और सिलिकॉन उपोयग करने वाले समुद्री जीवन का फैलाव मिट्टी के उत्पादन से संबंधित था.
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