अध्ययन: कैंसर से लड़ सकती हैं मरीजों की अपनी प्रतिरक्षा कोशिकाएं

प्रतिरक्षा कोशिकाएं

Update: 2021-05-15 13:28 GMT

एक अध्ययन से पता चलता है कि कैसे कैंसर उपचारों में उपयोग की जाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं रोगी की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्यूमर से लड़ने की अनुमति देने के लिए शारीरिक बाधाओं को दूर कर सकती हैं। यूनिवर्सिटी आफ मिनिसोटा ट्विन सिटीज में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शोधकर्ताओं के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है। यह अध्ययन नेचर रिसर्च में प्रकाशित हुआ है। इससे दुनियाभर में लाखों लोगों के कैंसर का इलाज बेहतर ढंग से किया जा सकता है।

प्रतिरक्षा चिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) में केमिकल या रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। यह कैंसर के इलाज की ऐसी पद्धति है, जिसमें कैंसर से लड़ने में मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद की जाती है। टी सेल एक प्रकार का व्हाइट ब्लड सेल है। प्रतिरक्षा प्रणाली में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साइटोटाक्सिक टी सेल उन सैनिकों की तरह होते हैं, जो आक्रमणकारी सेल को तलाश कर उसे नष्ट कर देते हैं। जबकि रक्त या रक्त-उत्पादक अंगों में कुछ प्रकार के कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी का उपयोग करने में सफलता मिली है, ठोस ट्यूमर में टी सेल का काम बहुत अधिक कठिन हो जाता है।
मिनिसोटा कालेज आफ साइंस एंड इंजीनियरिंग में एसोसिएट प्रोफेसर पाओलो प्रोवेनजानो ने कहा कि ट्यूमर एक तरह की बाधा है और टी सेल को कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचने में इसी बाधा का सामना करना पड़ता है। ये टी कोशिकाएं ट्यूमर में मिल जाती हैं, लेकिन वे ठीक से घूम नहीं सकतीं और समाप्त होने से पहले वे वहां नहीं जा सकतीं जहां उन्हें जाने की आवश्यकता होती है।
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