वॉर ब्रेकिंग: पुख्ता सबूत मिले, इस देश की सेना ने रूसी ड्रोन हमलों में की मदद, जानें पूरा खुलासा

Update: 2022-10-21 09:23 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

वॉशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 महीने से भीषण युद्ध जारी है. इसी बीच अमेरिका ने बड़ा दावा किया है. व्हाइट हाउस ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि यूक्रेन पर ड्रोन हमले में ईरानी सैनिक क्रीमिया से सीधे तौर पर रूस की मदद कर रहे हैं. रूस ने हाल ही में यूक्रेन पर मिसाइलों से हमले तेज कर दिए थे. अमेरिका ने दावा किया था कि रूस ने यूक्रेन पर ईरानी ड्रोन से हमले किए.
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने बताया कि ईरान ने क्रीमिया में अपने सैनिकों को भेजा है, हालांकि, इनकी संख्या काफी कम है. जॉन किर्बी ने कहा कि 2014 में रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. यहां ईरान के सैनिकों को ईरानी ड्रोन से हमले में मदद करने के लिए भेजा गया है.
ब्रिटेन सरकार के बयान के मुताबिक, ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की एक टुकड़ी को ड्रोन का इस्तेमाल करने में रूसी सेना की सहायता के लिए भेजा गया. किर्बी ने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि ईरान ने अपने ट्रेनर और टेक सपोर्ट को क्रीमिया में भेजा है. लेकिन ड्रोन से हमला रूसी सैनिक ही कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन तेहरान पर नए प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि हम ऐसे रास्ते तलाश रहे हैं कि ईरान को अपने ऐसे हथियारों को रूस को बेचने में कठिनाई हो. अमेरिका ने इससे पहले दावा किया था कि रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल के लिए ईरानी मानव रहित ड्रोन खरीद रहा है. यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने आरोप लगाया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए ईरान रूस को ड्रोन बेचने का आरोप लगाया. हालांकि, रूस और ईरान दोनों ही इस तरह के किसी सौदे से इनकार करते रहे हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रूस के सैनिक ईरानी ड्रोन का इस्तेमाल अच्छे से करना नहीं जानते. ऐसे में ईरान ने रूस की मदद के लिए सैन्यकर्मियों को तैनात किया है. अमेरिकी खुफिया विभाग के दस्तावेजों से पता चलता है कि अगस्त में ईरान से ड्रोन आने के बाद रूस के सैनिकों को इसका इस्तेमाल करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. किर्बी के मुताबिक, जिस उम्मीद से रूस ने ये हथियार खरीदे थे, वे उस तरह से प्रदर्शन नहीं दिखा पा रहे थे. ऐसे में ईरान ने अपने कुछ ट्रेनर्स को भेजने का फैसला किया था. ताकि इन ड्रोन का अच्छे से इस्तेमाल हो सके.
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