सोमालिया काल के मुहाने पर खड़ा, यूएन ने हालात पर जताई चिंता
इसके अलावा इसकी वजह से 1 करोड़ से अधिक लोग बेघर या विस्थापित हुए हैं।
हार्न आफ अफ्रीका के नाम से पहचाने जाने वाला सोमालिया अकाल के मुहाने पर खड़ा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालाय के प्रमुख ने इसको लेकर चिंता व्यक्त की है। सोमालिया वर्षों से गृह युद्ध की चपेट में है। गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार के बीच छिड़े गृहयुद्ध ने इसकी आर्थिक हालत को पस्त कर दिया है। यहां के लोगों को मदद पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र लगातार अपने कार्यक्रम चलाता रहता है।
इसके बाद भी यहां की अधिकतर आबादी भुखमरी की शिकार है। बच्चों की बात करें तो यहां के अधिकतर बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। पिछले माह यूक्रेन-रूस के बीच अनाज निर्यात को लेकर हुए समझौते में एक अहम बिंदु ये भी था कि वहां का अनाज सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के तहत भेजा जाता है। इसके अलावा सोमालिया खुद भी यूक्रेन से अनाज की खरीद कर लोगों का पेट भरता है।
यहां की आबादी करीब 1.71 करोड़ है। इनमें से 2 लाख लोग देश की राजधानी मोगादिशु में रहते हैं। ये यहां की सबसे बड़ी सिटी भी है। सुन्नी बहुल इस देश की करीब 85 फीसद आबादी एथेनिक सोमाली है। एक वक्त था जब यहां के सुल्तान की तुलना ताकतवार शख्स के रूप में की जाती थी और काफी दूर-दूर से व्यापार भी किया जाता था। लेकिन आज ऐसा कुछ नहीं है।
इटली और ब्रिटेन के यहां पर कब्जा कर लेने के बाद ये दो भागों में बंट गया। इसका नतीजा ये हुआ है कि ये दोनों धड़े आपस में ही लड़ने लगे। 1920 में इटली ने ब्रिटेन को हराकर पूरे सोमालिया पर अपना अधिकार कर लिया। 1969 में सुप्रीम रिवोल्यूशनरी काउंसिल ने सत्ता अपने हाथों में ले ली और सोमालिया डेमोक्रेटिक रिपब्लिक बन गया। 1991 में इसके पतन के साथ ही देश में गृह युद्ध छिड़ गया।
समय के साथ ये युद्ध और व्यापक होता चला गया और देश के हालात और खराब होते गए। अल शबाब के उदय के साथ सोमालिया के हालात और अधिक खराब हो गए। 2012 के मध्य तक गृहयुद्ध की चपेट में देश का आधे से अधिक हिस्सा आ चुका था। कहने के लिए यहां पर डेमोक्रेटिक प्रणाली है, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है।
गृहयुद्ध से घिरे इस देश में सरकार के खिलाफ चरमपंथी गुट हमेशा हमले को तैयार रहते हैं। यूएन के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर छिड़े सिविल वार में अब तक 5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा इसकी वजह से 1 करोड़ से अधिक लोग बेघर या विस्थापित हुए हैं।