इस हफ्ते चार की बजाय दो दिन चलेगा श्रीलंका का संसद सत्र, इस संकट चलते लिया गया फैसला
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देश के इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में हर बीतते दिन के साथ हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जनता सड़कों पर हिंसक हो रही है, तो दूसरी ओर सियासी घमासान भी चरम पर है। लेकिन इन सबके बीच द्विपीय देश में आर्थिक संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। विदेशी मुद्रा भंडार में आई कमी के चलते श्रीलंका की सरकार ईंधन समेत जरूरी चीजों का आयात करने में विफल हो रही है। इस बीच बड़ी खबर सामने आई है। श्रीलंका का संसद सत्र इस सप्ताह चार दिनों के बजाय दो दिनों तक ही चलेगा। सदन के नेता दिनेश गुणवर्धन ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।
ईंधन आपूर्ति संकट के कारण लिया गया फैसला
उन्होंने कहा कि मौजूदा ईंधन आपूर्ति संकट को देखते हुए हमने आज और कल के लिए संसदीय सत्र सीमित करने का फैसला किया है। मंगलवार सुबह जब संसद की बैठक शुरू हुई तो मुख्य विपक्षी समागी जन बालवेगया पार्टी और मार्क्सवादी नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी ने कहा कि वे मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार की निष्क्रियता के विरोध में सत्रों का बहिष्कार कर रहे हैं।
सरकार के पास कोई रणनीति नहीं
एसजेबी नेता साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि चूंकि सरकार के पास संकट से निपटने के लिए कोई रणनीति नहीं है, इसलिए संसद में समय बिताने का कोई फायदा नहीं है। वहीं एनपीपी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा कि मौजूदा आर्थिक और ईंधन की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि मई के बीच में नए प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे की नियुक्ति के बाद से ईंधन का इंतजार और लंबा हो गया है।
मंगलवार को संसद सत्र की शुरुआत में स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने सुप्रीम कोर्ट से मिले फैसले को पढ़ते हुए कहा कि संविधान में 21वें संशोधन पर मुख्य विपक्ष के प्रस्ताव को संविधान के साथ असंगत अधिकांश प्रावधानों के लिए राष्ट्रीय जनमत संग्रह की आवश्यकता के रूप में समझा गया है।
गौरतलब है कि श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति से ज्यादा संसद को सशक्त बनाने के लिए संविधान में 21वें संशोधन को मंजूरी दी है। कैबिनेट 21वें संशोधन के जरिए 20वें संसोधन को रद्द करना चाहती है। 20वां संसोधन संसद को मजबूत करने वाले 19वें संशोधन को समाप्त करने और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को असीमीत अधिकार दिए है। 21वें संसोधन का उद्देश्य अन्य सुधारों के अलावा, दोहरे नागरिकों को सार्वजनिक पद धारण करने के लिए चुनाव लड़ने से रोकना है। 21वें संसोधन के तहत राष्ट्रपति को संसद के प्रति जवाबदेह ठहराया जाएगा। वर्तमान में मंत्रियों का मंत्रिमंडल, राष्ट्रीय परिषद के अलावा पंद्रह समितियां और निरीक्षण समितियां संसद के प्रति जवाबदेह हैं।