श्रीलंकाई मंत्रिमंडल ने आर्थिक सुधार के लिए उठाए बड़े कदम, सरकारी कर्मचारियों के लिए होगी हफ्ते में दो दिन छुट्टी

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Update: 2022-06-14 15:24 GMT
नकदी संकट के बीच श्रीलंका की सरकार ने कई उपायों को मंजूरी दी है जिसमें कंपनियों पर उनके कारोबार के आधार पर 2.5 प्रतिशत सामाजिक योगदान कर (सोशल कंट्रीब्यूटिंग टैक्स) और अधिकांश सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए शुक्रवार को अवकाश के रूप में घोषित करना, आर्थिक सुधार की सुविधा और उर्जा व खाद्य संकट को कम करना है।
1948 में ब्रिटेन से आजादी हासिल करने के बाद से श्रीलंका अभी सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इस आर्थिक संकट के चलते देश में भोजन, दवा, रसोई गैस और अन्य ईंधन, टॉयलेट पेपर और यहां तक की माचिश जैसी जरूरी वस्तुओं की कमी का सामना कर रहा है। श्रीलंकाई लोगों को ईंधन और रसोई गैस खरीदने के लिए दुकानों के बाहर घंटों इंतजार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
मंत्रिमंडल ने सोमवार को हुई बैठक में 12 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार वाली कंपनियों पर 2.5 फीसदी टैक्स लगाने के विधेयक को मंजूरी दी है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, सोशल कंट्रीब्यूटिंग लेवी नाम का नया टैक्स आयात, विनिर्माण, सेवा प्रदाताओं, थोक विक्रेताओं और कुदराव विक्रेताओं के व्यवसायों पर लागू होगा।
मौजूदा उर्जा संकट को कम करने के उद्देश्य से एक अन्य उपाय में कैबिनेट ने सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए शुक्रवार को अवकाश घोषित करने को मंजूरी दी है। हालांकि यह स्वास्थ्य, बिजली और उर्जा, शिक्षा और रक्षा क्षेत्रों के कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा।
कैबिनेट ने आने वाले खाद्य संकट को कम करने के लिए कृषि में संलग्न होने के लिए सरकारी अधिकारियों को अगले तीन महीनों के लिए प्रति सप्ताह एक छुट्टी देने के कदम को भी मंजूरी दी। गृह मामलों के मंत्री दिनेश गुणवर्धने ने कहा कि इस कदम से ईंधन की खपत कम होगी। हमने ईंधन की कमी के कारण पैदा हुईं परिवहन समस्याओं के कारण सभी लोक सेवकों के लिए शुक्रवार को अवकाश देने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि लोक सेवक घर पर रह सकते हैं और शुक्रवार को खाद्य फसल उगाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। गुणवर्धने ने कहा कि सोमवार को सभी लोकसेवकों के लिए अवकाश का दिन बनाया गया था ताकि उन्हें अपने संसाधनों को खर्च न करना पड़े और मंगलवार को पोसॉन हॉलिडे के लिए कोलंबो आकर अपने गांवों को फिर से वापस न जाना पड़े।
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