श्रीलंका ने लिट्टे के 16 संदिग्धों सहित 93 कैदियों को किया रिहा, सजा माफ करने पर हो रही राष्ट्रपति की आलोचना

निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था.

Update: 2021-06-25 08:43 GMT

श्रीलंका (Sri Lanka) ने गुरुवार को 93 कैदियों को रिहा कर दिया. इनमें लिट्टे के 16 संदिग्ध आतंकवादी भी शामिल हैं, जिन्हें बिना किन्ही आरोपों के गिरफ्तार किया गया था. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के 'पोसोन पोया' के मौके पर उन्हें माफ करने के बाद गुरुवार को रिहा किया गया. 'पोसोन पोया' देश में बौद्ध धर्म के आगमन को चिह्नित करने के लिए श्रीलंका के बौद्ध बहुमत द्वारा मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है.

जेल प्रवक्ता तुषारा उपुलदेनिया ने बताया कि राष्ट्रति के माफी करने के बाद रिहा किए गए 93 कैदियों में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के संदिग्ध भी शामिल हैं. जाफना के उत्तरी शहर और अनुराधापुर के उत्तरी-मध्य शहर से उन्हें रिहा किया गया. उन्हें आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
आतंकवाद निरोधक कानून को खत्म करने की मांग
महत्वपूर्ण बौद्ध दिनों में श्रीलंका के राष्ट्रपति अधिकारियों की सिफारिशों पर गौर करते हुए, कैदियों को रिहा करने के लिए अपने कार्यकारी अधिकार का उपयोग करते हैं. मुख्य तमिल पार्टी, टीएनए, अधिकार समूहों के साथ मिलकर तमिल राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रही है, जिन्हें 10-20 वर्षों से बिना किसी आरोप के कैद में रखा गया है. इस महीने की शुरुआत में यूरोपीय संसद ने श्रीलंका के पीटीए को निरस्त करने के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया था.
टीएनए के सूत्रों ने बताया कि करीब 100 तमिल राजनीतिक कैदियो को बिना किसी आरोप के कैद में रखा गया है. वहीं, श्रीलंका सरकार का कहना है कि उसकी जेल में कोई राजनीतिक कैदी नहीं है. लिट्टे, श्रीलंकाई सेना द्वारा उसके प्रमुख नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन की 2009 में हत्या से पहले द्वीप राष्ट्र के उत्तरी तथा पूर्वी प्रांतों में एक अलग तमिल राष्ट्र के लिए एक सैन्य अभियान चलाता था.
राष्ट्रपति की हो रही आलोचना
हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे श्रीलंका के एक पूर्व सांसद को जेल से रिहा करने के राष्ट्रपति के फैसले की अमेरिका ने आलोचना की है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने विशेष शक्तियों के तहत सत्तारूढ़ पार्टी के पूर्व सांसद दुमिंदा सिल्वा की सजा माफ की है. जेल प्रवक्ता चंदना एकानायके ने बताया कि सिल्वा को माफी मिलने के बाद वेलीकाडा जेल से रिहा किया गया.
सत्तारूढ़ एसएलपीपी के पूर्व सांसद सिल्वा और 12 अन्य पर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एवं सांसद भरत लक्ष्मण प्रेमचंद्र तथा चार अन्य व्यक्तियों की 2011 में हत्या करने सहित 17 आरोप हैं. उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की एक विशेष समिति ने सिल्वा सहित पांच दोषियों को 2016 में मौत की सजा सुनाई थी, जबकि सात अन्य संदिग्धों को बरी कर दिया गया था. शीर्ष न्यायालय ने 2018 में सिल्वा और तीन अन्य दोषियों की मौत की सजा के खिलाफ उनकी अपील खारिज कर दी थी और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था.


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