श्रीलंका ने कनाडाई पीएम के बयान पर विरोध जताया

जानें ट्रूडो से क्यों नाराज है देश

Update: 2023-05-21 15:04 GMT

Sri Lanka: कनाडाई पीएम ने कहा, "इसलिए संसद ने पिछले साल सर्वसम्मति से 18 मई को तमिल नरसंहार स्मरण दिवस मनाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया था। कनाडा इस संघर्ष के पीड़ितों और बचे हुए लोगों के साथ-साथ श्रीलंका में उन सभी के अधिकारों की वकालत करना बंद नहीं करेगा जो कठिनाई का सामना कर रहे हैं।"

श्रीलंका ने यहां कनाडा के उच्चायुक्त को तलब कर द्वीपीय देश में गृह युद्ध की समाप्ति की 14वीं वर्षगांठ पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की 'तमिल नरसंहार' वाली टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। बता दें श्रीलंका में वर्ष 1983 में शुरू हुआ संघर्ष 18 मई 2009 को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सुप्रीमो वेलुपिल्लई प्रभाकरन के खात्मे के बाद समाप्त हुआ। लिट्टे ने अल्पसंख्यक तमिलों के लिए एक अलग देश की मांग करते हुए लड़ाई छेड़ रखी थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने गुरुवार को कहा था कि मुल्लीवैकल में नरसंहार के दौरान हजारों तमिलों की जान चली गई, कई लोग लापता, घायल और विस्थापित हो गए।

कनाडाई पीएम ने कहा, "इसलिए संसद ने पिछले साल सर्वसम्मति से 18 मई को तमिल नरसंहार स्मरण दिवस मनाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया था। कनाडा इस संघर्ष के पीड़ितों और बचे हुए लोगों के साथ-साथ श्रीलंका में उन सभी के अधिकारों की वकालत करना बंद नहीं करेगा जो कठिनाई का सामना कर रहे हैं।" हालांकि श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के बयानों को खारिज कर दिया। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कोलंबो में कनाडा के उच्चायुक्त एरिक वॉल्श को तलब किया और ट्रूडो की टिप्पणी पर कड़ा विरोध दर्ज कराया।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, "एक राष्ट्र के नेता की इस तरह की गैर जिम्मेदाराना और ध्रुवीकरण करने वाली घोषणाएं शांति और सुलह को बढ़ावा देने के बजाय कनाडा और श्रीलंका दोनों देशों के बीच वैमनस्य और घृणा को जन्म देती हैं।" बयान में कहा गया है, "श्रीलंका कनाडा और उसके नेताओं से आग्रह करता है कि वे कनाडा से ऐसी घोषणाएं करने से बचें जो घृणा, गलत सूचना और चरमपंथी विचारों को बढ़ावा देती हैं। बयान में कहा गया है कि विकृत तथ्यों के आधार पर श्रीलंका पर अपना अनावश्यक ध्यान केंद्रित करना बंद करें। यह कनाडा के प्रधानमंत्री के "दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा" के घोषित उद्देश्य के विपरीत है।"

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