श्रीलंका : 22वें संविधान संशोधन पर नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने जताई नाराजगी

Sri Lanka: Civil society representatives expressed displeasure over the 22nd constitutional amendment

Update: 2022-07-02 15:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के एक समूह ने शनिवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात कर प्रस्तावित 22वें संविधान संशोधन के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह न तो राष्ट्रपति की निरंकुश शक्तियों में कटौती करेगा न ही शक्ति के ढांचे पर नियंत्रण व संतुलन स्थापित करेगा।

श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने सोमवार को न्याय, कारागार और संविधान सुधार मामलों के मंत्री द्वारा पेश विधेयक को सरकारी गजट में प्रकाशित करने की मंजूरी दे दी थी। नए विधेयक में बृहद मुद्दों का उल्लेख किया गया है जिन पर विचार करना है। इनमें से राष्ट्रपति की नियुक्ति, प्रधानमंत्री की शक्तियां और पद की प्रकृति, नए आयोगों और मंत्रिमंडल की जवाबदेही जैसे तमाम मुद्दे शामिल हैं।
नागरिक समाज के नेता रोहना हित्तियारचची ने कहा, ''हमने प्रधानमंत्री से कहा कि यह शासन की अहम समस्याओं का समाधान नहीं करेगा जिसका देश सामना कर रहा है। हालांकि, इनमें से कुछ बिंदु प्रगतिशील प्रतीत हो रहे हैं लेकिन अधिकतर मामलों में यह ठीक नहीं है।
सरकार ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि संविधान संशोधन 22ए को गजट में प्रकाशित किया जा रहा है और तय प्रक्रिया के बाद इसे संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है। गौरतलब है कि 22वें संशोधन को पहले 21ए कहा गया था, जिसे 20ए के स्थान पर लाया गया था। यह बदलाव ऐसे समय में किया जा रहा है, जब देश आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट से गुजर रहा है।


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