साउथ कोरिया की सेना ने हाल ही में लॉन्च किए गए नॉर्थ कोरिया के पहले जासूसी उपग्रह का मलबा बरामद किया है. नॉर्थ कोरिया के इस उपग्रह की मई में हुई लॉन्चिंग असफल रही थी और इसे ले जा रहा रॉकेट टेकऑफ के कुछ ही देर बाद समुद्र में क्रैश हो गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साउथ कोरिया की सेना ने बताया है कि ऐसा नहीं लगता कि किम जोंग का यह सैटेलाइट सेना जासूसी करने में सक्षम था. उसने बोला कि यूएस एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर की गई जांच में यह सामने आया है कि ये उपग्रह किसी भी तरह की सेना जासूसी नहीं कर सकता.
किम जोंग ने बड़े ऑफिसरों संग की थी बैठक
बता दें कि उत्तर कोरिया के शीर्ष ऑफिसरों ने इस कथित जासूसी उपग्रह की पहली लॉन्चिंग की असफलता को इस वर्ष की ‘सबसे गंभीर’ चूक करार दिया था और बोला था कि वे इसको दोबारा लॉन्च करेंगे. उन्होंने इसकी असफलता के लिए उत्तरदायी ऑफिसरों की तीखी आलोचना भी की थी. असफल लॉन्चिंग और उत्तर कोरिया के शस्त्रों के आधुनिकीकरण के प्रयासों पर सत्तारूढ़ दल की बैठक में गहन चर्चा की गयी थी. बताया जा रहा है कि यह बैठक 3 दिन तक चली थी और इसमें उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और अन्य बड़े अधिकारी उपस्थित थे.
कम समय में दोबारा लॉन्चिंग के दिए थे निर्देश
रिपोर्ट में बोला गया है कि बैठक में नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग ने ऑफिसरों तथा वैज्ञानिकों को असफलता से सबक लेने, इसके कारणों का पता लगाने तथा कम समय में दोबारा लॉन्चिंग करने के निर्देश दिए हैं. किम जोंग अपने खूंखार रवैये के लिए जाने जाते हैं, लेकिन नॉर्थ कोरिया के नज़र संगठनों ने प्रक्षेपण की असफलता को लेकर वैज्ञानिकों अथवा इससे जुड़े अन्य लोगों को बर्खास्त किए जाने या उनके साथ किसी प्रकार का बुरा बर्ताव होने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी है. पर्यवेक्षकों का बोलना है कि किम जोंग का बर्ताव राष्ट्र के हथियार निर्माण कार्यक्रम में लगे वैज्ञानिकों और तकनीशियनों के साथ अच्छा है.
किम जोंग की कोशिशों को लगा था बड़ा झटका
बता दें कि साल 2022 की आरंभ से अब तक उत्तर कोरिया 100 से अधिक मिसाइल टेस्ट कर चुका है, इसमें से कुछ जासूसी उपग्रह के निर्माण से तथा अन्य ताकतवर हथियार निर्माण से जुड़े हैं. बता दें कि मई के अंत में इस जासूसी उपग्रह ले जाने वाला उत्तर कोरियाई रॉकेट लॉन्चिंग के तुरन्त बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इससे अमेरिका और दक्षिण कोरिया पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष-आधारित नज़र प्रणाली हासिल करने के किम के प्रयासों को झटका लगा था. पूरे विश्व के कई राष्ट्रों ने इस उपग्रह की लॉन्चिंग के लिए उत्तर कोरिया की आलोचना की थी.