पछता रहे हैं लोग! चीन की कोरोना वैक्सीन ने बढ़ाई कई देशों की चिंता, ये है वजह

Update: 2021-12-15 12:23 GMT

नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से बचाव के लिए चीन की एक वैक्सीन ने दुनिया के उन देशों की चिंता बढ़ा दी है. जिन्होंने इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया है. सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड द्वारा तैयार वैक्सीन (Vaccine) का उपयोग कई देशों में किया गया है लेकिन हॉन्गकॉन्ग के शोधकर्ता का दावा है कि यह वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज नहीं प्रदान कर पाती है और शुरुआती जांच में इसका पता चला है. इस तथ्य के सामने आने के बाद उन देशों की चिंता बढ़ सकती है जिन्होंने इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया है.

मंगलवार रात को यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग के शोधकर्ताओं द्वारा जारी बयान के अनुसार, पूरी तरह से वैक्सीनेटेड 25 लोगों के ग्रुप को जिन्हें सिनोवैक बायोटेक की कोरोनावैक (Coronavac) वैक्सीन दी गई थी उनमें ओमिक्रॉन वेरिएंट से लड़ने के लिए ब्लड सीरम में पर्याप्त एंटीबॉडीज नहीं बन पाई हैं.
वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्ण रूप से वैक्सीनेटेड 25 लोगों के एक अन्य ग्रुप को, जिन्हें फाइजर और बायोएनटेक का वैक्सीन डोज दिया गया है. उनके अंदर नए वेरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडीज पाई गई हैं. यह तथ्य इन कंपनियों ने अपनी जांच के बाद पिछले सप्ताह जारी किए थे और कहा था कि वैक्सीन के तीसरे शॉट के माध्यम से ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडीज मिलेगी.
यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग में संक्रामक बीमारियों से जुड़े विशेषज्ञ प्रोफेसर क्वोक युंग येन के नेतृत्व में तैयार इस 50 लोगों पर किए गए अध्ययन को मेडिकल जनरल में प्रकाशित करने की मंजूरी मिल गई है और प्रिंट के लिए ऑनलाइन मोड पर उपलब्ध है.
बहरहाल अब तक इस बात का पता नहीं है कि सीनोवेक की यह वैक्सीन ओमिक्रॉन समेत कोविड-19 के अन्य वेरिएंट के खिलाफ कैसे काम करती है. लेकिन हॉन्गकॉन्ग के इन वैज्ञानिकों की जांच ने 2.3 अरब लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं जिन्होंने इस वैक्सीन की खुराक ली है. इनमें ज्यादातर चीन और अन्य विकासशील देशों के लोग शामिल हैं. चूंकि ओमिक्रॉन वेरिएंट अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैलता है. ऐसी स्थिति में शरीर के अंदर पर्याप्त एंटीबॉडीज नहीं होने से इन लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही कोरोना महामारी से उभरने की कोशिशों को झटका लग सकता है.
मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सिनोवैक की यह वैक्सीन और व्यापक अध्ययन के बाद ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ अप्रभावी पाई जाती है, तो कोरोना महामारी की रोकथाम को लेकर चीन के प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है. साथ ही ओमिक्रॉन वेरिएंट से गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है.
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