ब्रिटेन में भी महाराष्ट्र की तरह की 'बगावत', तंग आकर बोरिस जॉनसन छोड़ेंगे PM की कुर्सी
यूनाइटेड किंग्डम भी महाराष्ट्र जैसे सियासी संकट से जूझ रहा है. वहां भी राजनीतिक उथल पुथल मचा है. इस बीच, ब्रिटिश मीडिया के हवाले से जानकारी आ रही है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.
यूनाइटेड किंग्डम भी महाराष्ट्र जैसे सियासी संकट से जूझ रहा है. वहां भी राजनीतिक उथल पुथल मचा है. इस बीच, ब्रिटिश मीडिया के हवाले से जानकारी आ रही है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.
मंत्रियों ने की थी इस्तीफा देने की अपील
बता दें कि यूके के नए वित्त मंत्री नादिम जहावी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से इस्तीफा देने की अपील की थी. उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, प्रधानमंत्री, आप जानते हैं कि क्या करना सही है, और अभी इस्तीफा दे दीजिए.
सरकार पर संकट के बीच ब्रिटेन के शिक्षा मंत्री मिशेल डोनेलन को दो दिन पहले प्रमोट किया गया था. उन्होंने गुरुवार को यह कहते हुए पद छोड़ दिया कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें "एक असंभव स्थिति" में डाल दिया. उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का गहरा दुख है कि यह बात सामने आई है, लेकिन एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो ईमानदारी को सबसे ज्यादा महत्व देता है, मेरे पास कोई विकल्प नहीं है.
मंत्रियों के इस्तीफे से दबाव में थे जॉनसन
इससे पहले बोरिस जॉनसन के शीर्ष सहयोगियों में से एक ने बुधवार को दावा किया था वह बेहद उत्साहित हैं और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए परेशानियों का डटकर सामना करेंगे. वहीं गृह मंत्री प्रीति पटेल सहित मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री के कई करीबी अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
जॉनसन के अपने एक वरिष्ठ मंत्री को बर्खास्त करने की खबर सामने आने के कुछ समय बात उनके शीर्ष सहयोगी का यह बयान आया है. ऐसा माना जा रहा है कि वरिष्ठ मंत्री जॉनसन के 'डाउनिंग स्ट्रीट' में बने रहने के पक्ष में नहीं थे.
मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्री माइकल गोव ने जॉनसन को प्रधानमंत्री के पद से कथित तौर पर हटने को कहा था. ऐसा कहा जा रहा है कि जॉनसन ने इसके बाद माइकल गोव को 'डाउनिंग स्ट्रीट' में बुलाया और उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने की जानकारी दी.
मौजूदा नियमों के तहत हाल ही में विश्वास मत जीतने के बाद जॉनसन आगामी गर्मियों तक प्रधानमंत्री पद पर बन रह सकते हैं. हालांकि, ब्रिटिश मीडिया का कहना है कि '1922 समिति' की कार्यपालिका कभी भी नियमों में बदलाव ला सकती है.
जॉनसन के करीबी सूत्रों के हवाले से एक खबर में कहा गया, '' प्रधानमंत्री को पता है कि उनके पास 1.4 करोड़ लोगों का जनादेश है और उन्हें पद से हटाने का एकमात्र तरीका उस जनादेश को उनसे छीनना है.''