अफगानिस्तान में सिख अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित, गुरुद्वारे पर हमले के बाद सिखों का दर्द

भारत सरकार ने 100 अफगान हिंदू और सिखों को वीजा जारी किया है।

Update: 2022-06-21 08:43 GMT

अफगानिस्तान में गुरुद्वारे पर हमले के बाद काबुल में बचे हुए सिख अब अपनी मातृभूमि पर नहीं रहना चाहते हैं। सोमवार को गुरुद्वारे के जले हुए खंडहर के पीछे एक कमरे में दर्जनों सिख इस उम्मीद में इकट्ठा हुए कि वह आसानी से अफगानिस्तान से निकल सकें, हालांकि उन्हें इसका कोई साफ विकल्प नहीं दिख रहा। गुरुद्वारे पर शनिवार को इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने हमला किया, जिसमें घायल रगबीर सिंह ने कह, 'हमारी सारी उम्मीद खो चुकी है। यहां हमारा कोई भविष्य नहीं है। हम डर के साए में जी रहे हैं।'

अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद कई सिखों ने यहां शरण ली थी। गुरुद्वारे के आसपास ही यहां सिख परिवार रह रहे थे। इससे पहले भी अफगानिस्तान में सिखों को निशाना बनाया जाता रहा है। मार्च 2020 में एक आतंकी ने काबुल के ही एक गुरुद्वारे में घुस कर फायरिंग की थी, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं जलालाबाद में 2018 में एक आत्मघाती हमले में 19 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर सिख ही थे।
200 से भी कम सिख बचे
दोनों हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। इस्लामिक स्टेट सिखों के साथ-साथ अन्य अलपसंख्यकों को निशाना बनाता रहा है, जिनमें हिंदू, शिया और सूफी भी शामिल हैं। अफगानिस्तान में रहने वाले सिखों और हिंदुओं की संख्या पिछले साल सिर्फ 200 ही रह गई थी। जबकि 1970 के दशक में ये संख्या लगभग पांच लाख थी। ज्यादातर जो सिख अब बचे हैं वह व्यापारी हैं जो मसाले, दवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचते हैं।
kabul attack2हमले में सात लोगों की हुई मौत
अफगानिस्तान के मनमोहन सिंह सेठी (70) ने कहा कि गुरुद्वारा सिर्फ पूजास्थल नहीं बल्कि पूरे सिख समुदाय का घर है। 70 साल के मनमोहम सिंह सेठी भी इस हमले में घायल हुए। इस हमले में सात लोगों की मौत हुई। इसमें तालिबान का एक सुरक्षाकर्मी भी मारा गया है। एक आतंकियों ने पहले गुरुद्वारे के गेट पर फायरिंग की और एक गार्ड को मार दिया। आतंकियों ने इसके बाद अंधाधुंध फायरिंग करते हुए ग्रेनेड से हमला किया। इसके एक मिनट बाद गुरुद्वारे के बाहर एक कार में धमाका हुआ।
गुरुद्वारे को आतंकियों ने किया तबाह
आतंकी जब गुरुद्वारे के अंदर घुसे तो कुछ लोग पिछले दरवाजे से बचकर भागे वहीं कुछ ने आसपास की इमारतों में शरण ली। हमले के दौरान मनमोहन सिंह सेठी चौथे मंजिल पर थे। जब उन्होंने निकलने की कोशिश की तो उनके पैर में चोट लग गई। गुरुद्वारे के कमरे और मुख्य पूजास्थल को आतंकियों ने ग्रेनेड और बंदूक से तबाह कर दिया। ये हमला ऐसे समय में आया है जब भारतीय राजनयिक अफगानिस्तान पहुंचे थे। हमले के बाद भारत सरकार ने 100 अफगान हिंदू और सिखों को वीजा जारी किया है।

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