संसद भंग करने के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिमंडल को कारण बताओ का नोटिस जारी

इसमें इस कदम को असांविधानिक करार दिया गया है।

Update: 2021-06-10 03:03 GMT

नेपाल में सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग किए जाने के मामले में बुधवार को राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और मंत्रिमंडल को कारण बताओ नोटिस जारी किया। कोर्ट ने 15 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा की सिफारिश पर पांच महीने में दूसरी बार 22 मई को संसद को भंग कर दिया था और 12 और 19 नवंबर को चुनाव कराने का एलान किया था। संसद में विश्वास मत में पराजित होने के बाद पीएम ओली मौजूदा समय में अल्पसंख्यक सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।
चीफ जस्टिस चोलेंद्र शमशेर राणा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने प्रतिवादियों से स्पष्टीकरण मांगा है। राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई में रविवार से बाधा आ रही थी। हालांकि बुधवार को मामले सुनवाई हुई। माना जा रहा है कि 23 जून से मामले की नियमित सुनवाई शुरू होगी।
माईरिपब्लिकाडॉटकॉम की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक-एक वरिष्ठ वकील की मदद लेने का फैसला लिया है। ये दोनों न्याय मित्र के तौर पर 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को भंग करने से संबंधित मामले का फैसला लेने में सुप्रीम कोर्ट की मदद करेंगे। विपक्षी गठबंधन समेत 30 रिट याचिकाएं संसद को भंग करने के खिलाफ दायर की गई है। इसमें इस कदम को असांविधानिक करार दिया गया है।

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