नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूसी हमले का एक बड़ा कारण यूक्रेन का यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन नेटो में शामिल होने की आकांक्षा थी लेकिन अब यूक्रेन की ये इच्छा खत्म होती दिख रही है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि वो यूक्रेन के नेटो में शामिल होने पर जोर नहीं दे रहे हैं. जेलेंस्की ने साथ ही ये भी कहा है कि रूस द्वारा मान्यता दिए यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों दोनेत्स्क और लुहांस्क पर भी वो समझौता करने के लिए तैयार हैं. पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण से ठीक पहले यूक्रेन के इन दो क्षेत्रों को स्वतंत्र क्षेत्र की मान्यता दे दी थी.
जेलेंस्की ने अमेरिका के टीवी चैनल एबीसी को सोमवार रात एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने नेटो, पुतिन और रूस द्वारा मान्यता दिए गए यूक्रेन के क्षेत्रों पर खुलकर बात की है. उनके इस इंटरव्यू से लगता है कि अब जेलेंस्की रूस के सामने नरम रुख अपना रहे हैं.
नेटो पर क्या बोले जेलेंस्की?
जेलेंस्की ने इंटरव्यू के दौरान स्पष्ट किया कि वो इस बात पर अब जोर नहीं दे रहे कि यूक्रेन नेटो में शामिल हो. उन्होंने नेटो से अपनी नाराजगी जताते हुए कहा, 'मुझे ये समझ आ गया है कि नेटो हमें अपने गठबंधन में शामिल नहीं करना चाहता. जब मुझे ये बात समझ में आई तब मैंने नेटो में शामिल होने के सवाल को पीछे छोड़ दिया. नेटो विवादित चीजों और रूस के साथ टकराव से बेहद डरता है.'
यूक्रेन के नेटो में शामिल होने पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि वो एक ऐसे देश के राष्ट्रपति नहीं बनना चाहते जो घुटनों पर गिरकर भीख मांगता है.
रूस का स्पष्ट कहना है कि उनकी कुछ मांगें हैं जिन्हें यूक्रेन मान लेता तो यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई बिना देर किए तुरंत रोक दी जाएगी. रूस ने कहा है कि यूक्रेन अपने संविधान में बदलाव कर ये स्पष्ट करे कि वो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा. साथ ही रूस की मांग है कि यूक्रेन 2014 में रूस में शामिल अपने हिस्से क्रीमिया को रूसी क्षेत्र की मान्यता दे और दोनेत्स्क और लुहांस्क की स्वतंत्र क्षेत्र की स्थिति को भी मान्यता दे.
यूक्रेन के राष्ट्रपति का नेटो को लेकर दिया गया बयान बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि रूस की सबसे बड़ी समस्या यूक्रेन के नेटो में शामिल होने की संभावना को लेकर ही है.
नेटो सोवियत रूस से मुकाबला करने के लिए साल 1949 में बना था. साल 1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद नेटो ने रूस के आसपास के कई और देशों को भी गठबंधन में शामिल कर लिया जिससे रूस में नाराजगी बढ़ी.
साल 2008 में नेटो यूक्रेन को भी गठंधन का हिस्सा बना रहा था लेकिन ऐसा हो नहीं सका और अब ऐसा कहा जाने लगा था कि यूक्रेन जल्द ही नेटो का सदस्य बनने वाला है जिसे लेकर रूस की नाराजगी बढ़ी और उसने और कई कारणों का हवाला देते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया. रूस नेटो के विस्तार को एक खतरे के रूप में देखता रहा है.
यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्रों दोनेत्स्क और लुहांस्क पर भी जेलेंस्की ने रखी अपनी बात
यूक्रेन के दो क्षेत्रों दोनेत्स्क और लुहांस्क में रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है. साल 2014 से ही इन क्षेत्रों के अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है. रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करने से पहले इन दोनों क्षेत्रों को स्वतंत्र प्रदेश की मान्यता दे दी थी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अब चाहते हैं कि यूक्रेन भी इन दोनों क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दे.
जब जेलेंस्की से इन दोनों क्षेत्रों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, 'मैं सुरक्षा की गारंटी के बारे में बात कर रहा हू्ं. रूस के अलावा किसी अन्य देश ने इन छद्म देशों को मान्यता नहीं दी है. लेकिन हम इस पर बातचीत कर सकते हैं. हम इस बात पर समझौता कर सकते हैं कि ये दोनों क्षेत्र आने वाले समय में कैसे रहेंगे.'
उन्होंने आगे कहा, 'मेरे लिए ये महत्वपूर्ण है कि उन क्षेत्रों के वो लोग कैसे रहेंगे जो यूक्रेन का हिस्सा बनकर ही रहना चाहते हैं और यूक्रेन के उन लोगों का क्या जो चाहते हैं कि ये क्षेत्र यूक्रेन का हिस्सा बने रहें. ये प्रश्न दोनों क्षेत्रों को मान्यता देने से कहीं अधिक मुश्किल है.'
जेलेंस्की ने साथ ही ये भी कहा कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन बिना सही सूचना वाले एक बायो बबल में रह रहे हैं जिसमें उन्हें सच्चाई का कुछ पता नहीं है. उन्होंने कहा, 'यह एक और अल्टीमेटम है और हम अल्टीमेटम के लिए तैयार नहीं हैं. राष्ट्रपति पुतिन को बिना ऑक्सीजन वाले इंफोर्मेशन बबल में रहने के बजाय बातचीत शुरू करने की जरूरत है.'