शिंजो आबे की हालत गंभीर: सकते में लोग, इस फैसले की हो रही चर्चा

Update: 2022-07-08 07:55 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: जापान की अर्थव्यवस्था (Japan Economy) को सुधारने के लिए 'आबेनॉमिक्स (Abenomics)' का सिद्धांत देने वाले शिंजो आबे (Former Japan PM Shinzo Abe) को शुक्रवार को एक अज्ञात हमलावर ने गोली मार दी. जापान के सबसे युवा व सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे आबे को गोली मारे जाने की खबर से पूरी दुनिया हैरान रह गई. उन्हें पीछे से उस समय गोली मारी गई, जब वह एक चुनाव प्रचार के सिलसिले में नारा (Nara) शहर में लोगों को सड़क पर संबोधित कर रहे थे.

आबे दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के बाद उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे, जिन्हें दो-दो बार जापान का प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. उन्हें इकोनॉमी को उबारने के प्रयासों के अलावा जापान की सैन्य क्षमता बढ़ाने और चीन के बढ़ते दबदबे का कड़ा विरोध करने के लिए जाना जाता रहा है. जापान के सरकारी न्यूज चैनल एनएचके (NHK) के अनुसार, 67 साल के आबे नारा शहर में आगामी चुनाव को लेकर एक प्रचार कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान एक अज्ञात हमलावर ने पीछे से उनके ऊपर गोली चला दी. उनकी हालत अभी गंभीर बताई जा रही है.
आबे पहली बार साल 2006 में जापान के प्रधानमंत्री बने थे. इसके साथ ही उनके नाम जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री (Youngest Prime Minister Of Japan) का खिताब जुड़ गया था. हालांकि उनका पहला कार्यकाल लंबा नहीं चल पाया और अगले ही साल यानी 2007 में आबे को इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद साल 2009 में उनकी कंजरवेटिव पार्टी चुनाव हार गई. साल 2012 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बने, जब उनकी अगुवाई में कंजरवेटिव पार्टी ने जीत हासिल की. उन्होंने चुनाव के दौरान जापान के लोगों से इकोनॉमी को मजबूत बनाने, डिफ्लेशन पर लगाम लगाने, दूसरे विश्व युद्ध के बाद लागू संविधान की पाबंदियों को कम करने और पारंपरिक मूल्यों को बहाल करने का वादा किया था.
शिंजो आबे के 'आबेनॉमिक्स' सिद्धांत को दुनिया भर में चर्चा तो खूब मिली, लेकिन जमीन पर यह वास्तव में असर डाल पाने में कामयाब नहीं हो पाया. हालांकि आबे इस सिद्धांत के दम पर विदेशी निवेशकों को जापान बुलाने का प्रयास करते रहे. दरअसल साल 2020 में अचानक आई कोरोना महामारी (Covid-19) ने आबे के 'आबेनॉमिक्स' पर सबसे गहरा आघात किया. नवंबर 2019 में ही आबे जापान के सबसे लंबे समय पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री बने और 2020 में ही उन्हें पद छोड़ना पड़ गया. उनके ऊपर कोरोना महामारी को सही से हैंडल नहीं कर पाने के अलावा पूर्व न्याय मंत्री की गिरफ्तारी की घटना से पद छोड़ने का दबाव बना.
जहां तक आबेनॉमिक्स की बात है, शिंजो आबे ने इसे तीन लक्ष्य पाने के लिए लॉन्च किया था. इसका पहला लक्ष्य डिफ्लेशन पर लगाम लगाना था. इसके अलावा हाइपर-ईजी मॉनीटरी पॉलिसी और फिस्कल स्पेंडिंग की मदद से इकोनॉमिक ग्रोथ को वापस पटरी पर लाना इसका दूसरा लक्ष्य था. आबेनॉमिक्स का तीसरा लक्ष्य जापान की तेजी से बूढ़ी होती आबादी और कम होती जनसंख्या की समस्या से निजात पाना था. डिफ्लेशन के मोर्चे पर आबेनॉमिक्स को सफलता नहीं मिल पाई. साल 2019 में सेल्स टैक्स बढ़ाए जाने से आबेनॉमिक्स की ग्रोथ स्ट्रेटजी को झटका लगा. बाकी रही-सही कसर अमेरिका-चीन के टैरिफ वार और कोरोना महामारी ने पूरी कर दी.

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