पाकिस्तान का आटा गीला हुआ तो उसे एक बार फिर भारत से बातचीत की याद आ गयी है। पाकिस्तान देख रहा है कि पड़ोसियों पर क्या दुनिया के किसी भी देश में जब-जब संकट आया तो भारत ने आगे बढ़कर मदद की। यही नहीं, मालदीव और श्रीलंका तो पूरी तरह भारत की वजह से ही आर्थिक संकट से उबर पाये। इसके अलावा भारत बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की भी काफी मदद कर रहा है। जबकि पाकिस्तान अपने सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा है तो दुनिया में कोई देश उसकी मदद नहीं कर रहा। चीन और खाड़ी के कुछ देश मदद के लिए आगे आये भी हैं तो वह इसके लिए बड़ी कीमत वसूल रहे हैं। चीन पाकिस्तान के संसाधनों की रजिस्ट्री अपने नाम करवा रहा है तो खाड़ी के देश भी पाकिस्तान से उसके पोर्ट इत्यादि लीज पर लेकर उसे पैसा दे रहे हैं। अब जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का कार्यकाल खत्म होने वाला है तो उन्होंने एक बार फिर सभी गंभीर और लंबित मुद्दों के समाधान के लिए भारत के साथ बातचीत करने की पेशकश की और कहा है कि दोनों देशों के लिए ‘‘युद्ध कोई विकल्प नहीं है’’ क्योंकि दोनों देश गरीबी और बेरोजगारी से लड़ रहे हैं।
शहबाज शरीफ की टिप्पणियां सीमा पार आतंकवाद को इस्लामाबाद के निरंतर समर्थन और कश्मीर सहित कई मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में जारी तनाव के बीच आई है। साथ ही यह टिप्पणी ऐसे समय भी आई है जब 12 अगस्त को संसद का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है और उनकी गठबंधन सरकार चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भारत के प्रति पाकिस्तान की नीति को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं? यह सवाल हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एक ओर प्रधानमंत्री भारत के साथ वार्ता की अपील कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनकी विदेश राज्य मंत्री भारत पर कटाक्ष कर रही हैं। जहां तक शहबाज शरीफ के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध के इतिहास के बारे में बात की। उनकी राय में युद्ध के परिणामस्वरूप गरीबी, बेरोजगारी और लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए संसाधनों की कमी हुई। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक अनसुलझे मुद्दों का समाधान कर ‘‘असामान्यताओं’’ को दूर नहीं किया जाता तब तक संबंध सामान्य नहीं होंगे।
दूसरी ओर, पाकिस्तान की उप विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के बयान की बात करें तो उन्होंने भारत और पश्चिमी देशों के गहराते संबंधों पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि भारत पश्चिमी देशों का डार्लिंग है। हिना रब्बानी खार ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान गवर्नेंस फोरम 2023 को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। अपने संबोधन के दौरान जब वह अपने सभी पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान के संबंधों का वर्णन कर रही थीं, तो उन्होंने भारत को "पश्चिम का डार्लिंग" कहा। इसके अलावा, खार ने भारत पर "क्षेत्र के कुछ देशों के साथ ही घनिष्ठता रखने" का आरोप भी लगाया। हिना रब्बानी खार ने कहा कि “भारत ने पश्चिम का प्रिय बनने का निर्णय लिया है, लेकिन साथ ही, इस क्षेत्र के भीतर बहुत आक्रामक होने का निर्णय लिया है। हिना रब्बानी खार ने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में खड़ा है जो कुछ देशों के प्रति बहुत खुला है, लेकिन इस क्षेत्र में सबके करीब नहीं है। देखा जाये तो हिना रब्बानी खार का यह बयान 'अंगूर खट्टे हैं' वाली कहावत को चरितार्थ करता है। पाकिस्तान को पश्चिम तो क्या दुनिया का कोई देश भाव नहीं देता है जबकि भारत आज दुनिया में नेतृत्वकर्ता की भूमिका में आ गया है। जाहिर है यह बात पाकिस्तान को पचेगी नहीं इसलिए वह डार्लिंग जैसे शब्दों का उपयोग कर रहा है।
बहरहाल, हिना रब्बानी खार का बयान यह भी दर्शाता है कि भारत के प्रति नीति को लेकर पाकिस्तान सरकार के भीतर ही मतभेद हैं। इस प्रकार की भी खबरें हैं कि भारत को वार्ता का प्रस्ताव दिये जाने से नाराज होकर ही हिना ने भारत के बारे में ऐसी टिप्पणी की है। इसलिए शहबाज शरीफ को मुद्दे सुलझाने के लिए भारत के समक्ष बातचीत का प्रस्ताव रखने से पहले अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों से बातचीत करनी चाहिए।
जहां तक भारत-पाकिस्तान संबंधों के वर्तमान हालात की बात है तो आपको बता दें कि भारत कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है, जबकि वह इस बात पर भी जोर देता रहा है कि इस तरह के संबंध के लिए आतंक और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाक की है। भारत ने यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा देश का हिस्सा था, है और रहेगा। हम आपको यह भी बता दें कि इस्लामाबाद और नयी दिल्ली के बीच द्विपक्षीय संबंध अगस्त 2019 से तनावपूर्ण हैं जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया था।