प्राइमरी स्कूल में पढ़ाया जाएगा 'शी चालीसा', जानें चीन के बच्चों पर क्या होगा इसका असर

चीन की सत्ता पर अनिश्चतकाल के लिए काबिज हो चुके शी जिनपिंग अब आने वाली पीढ़ियों के दिलो-दिमाग पर भी शासन करना चाहते हैं

Update: 2021-02-04 12:34 GMT

चीन की सत्ता पर अनिश्चतकाल के लिए काबिज हो चुके शी जिनपिंग अब आने वाली पीढ़ियों के दिलो-दिमाग पर भी शासन करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि छोटे उम्र में ही बच्चों को उनकी 'गाथाएं' और 'प्रवचन' कंठस्थ कराकर उनकी नजरों में महान बना दिया जाए। कम्युनिस्ट पार्टी की 100वीं वर्षगांठ से पहले चीन में इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया गया है।


पार्टी की सेंट्रल कमिटी ने बुधवार को इसको लेकर गाइडलाइंस जारी की है, जिसके तहत छोटे बच्चों में वैचारिक शिक्षा पर जोर देने को कहा गया है। गाइडलाइंस में कहा गया है प्राइमरी स्कूल और सेकेंड्री स्कूल के पहले दो साल में सभी विद्यार्थियों की सप्ताह में एक क्लास शी के विचारों पर हो। बच्चों को शी का आदेश पालन करने की सीख दी जाएगी और बताया जाएगा कि केवल वही करें जो शी ने हमें बताया है।

चीन में कूटनीतिज्ञों से लेकर अधिकारियों तक और लेखकों सभी को अपनी नीतियों में "शी थॉट्स" के व्यापक, अक्सर फर्जी सिद्धांतों को शामिल करने का दबाव है। शी खुद को चीन का सर्वोच्च नेता स्थापित करने में जुटे हुए हैं और देश पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए हर कोशिश में जुटे हैं।

डॉक्युमेंट में यह भी कहा गया है कि बच्चों को यह पढ़ाया जाए कि आज का सुखी जीवन पार्टी के सही नेतृत्व और समाजवाद की वजह से है। चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में सोमवार को गाइडलाइंस की जानकारी देते हुए लिखा गया है, ''बच्चों में राजनीतिक ज्ञान और मूल्यों को मजबूत करने का रणनीतिक महत्व है और इससे सुनिश्चित होगा की लाल जीन एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाए।''

एक अन्य सरकारी अखबार चाइना डेली ने भी इस कदम की तारीफ करते हुए लिखा है कि बच्चे राष्ट्र और कम्युनिस्ट पार्टी के भविष्य हैं और इसलिए उनका सही विकास रणनीतिक महत्व रखता है। गौरतलब है कि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है और इसने जीवन और समाज के हर क्षेत्र को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया है। चीन में हर नागरिक को सिर्फ वही सोचना, बोलना और करना है जिसकी इजाजत उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी से मिलती है।


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