शहबाज शरीफ ने बुरहान वानी को कहा 'शहीद', विदेश मंत्रालय ने की बेशर्मी की हद पार!
लेकिन कश्मीर विवाद का समाधान होने तक स्थायी शांति संभव नहीं है।'
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सत्ता के शीर्ष पर कोई भी बैठे, शांति और मित्रता की बात करने के बजाए वह सिर्फ जहर ही उगलता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को आतंकवादी बुरहान वानी के समर्थन में एक बेशर्मी भरा ट्वीट किया और एक बार फिर जम्मू-कश्मीर राग अलापा। उन्होंने आतंकवादी का महिमामंडन किया और वानी को 'शहीद' करार दिया। इस मामले में पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भी पीछे नहीं रहा और उसने भी शरीफ की हां में हां मिलाते हुए एक ट्वीट किया।
शरीफ ने अपने ट्वीट में लिखा, 'भारतीय बलों ने 2016 में आज ही के दिन बुरहान वानी को मार दिया था। लेकिन वे कश्मीर के लोगों के दिलों और दिमागों में जल रही आजादी की लौ को कभी नहीं बुझा सके। उसका संघर्ष कश्मीरी युवाओं को प्रेरित करता है और मार्ग प्रशस्त करता रहेगा।' यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानियों के सुर आतंकवादियों के पक्ष में निकल रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तो कुख्यात आतंकवादी और अल कायदा की नींव रखने वाले ओसामा बिन लादेन को भी 'शहीद' करार दिया था।
विदेश मंत्रालय का भी बेशर्मी भरा ट्वीट
इस मामले में पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भी जहर उगलने से पीछे नहीं रहा। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'आज युवा कश्मीरी नेता बुरहान मुजफ्फर वानी की छठी बरसी है। पाकिस्तान की सरकार और जनता निस्वार्थ योगदान के लिए बुरहान वानी को श्रद्धांजलि देती है।' पाकिस्तान कई बार अलग-अलग मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठा चुका है जिसमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है। लेकिन हर बार न सिर्फ भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अपने 'दोस्त' चीन की तरफ से भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी।
सत्ता में आते ही 'कश्मीर-कश्मीर' अलापने लगे शहबाज
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के तुरंत बाद ही शहबाज शरीफ ने कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया था। शहबाज ने अपने भाषण में कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का मुद्दा उठाया था और कहा था कि पाकिस्तान मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने के अलावा कश्मीरियों को 'राजनयिक और नैतिक समर्थन' प्रदान करेगा। उन्होंने कहा था, 'हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन कश्मीर विवाद का समाधान होने तक स्थायी शांति संभव नहीं है।'