शादी से पहले संबंध बनाने की मिली कड़ी सजा, 4 जोड़ों पर सरेआम बरसाए 20 कोड़े

ताकि वे इस तरह के अपराध को करने से पहले डरें.

Update: 2021-03-09 11:29 GMT

इंडोनेशिया (Indonesia) में चार जोड़ों को शादी के बिना शारीरिक संबंध की कड़ी सजा दी गई है. दरअसल, देश के शरिया शासित प्रांत आचे (Ache) में इन जोड़ों को शारीरिक संबंध बनाने के लिए 20-20 कोड़ों (20 Lashes) की सजा दी गई. आचे प्रांत में इन पुरुष और महिलाओं को सार्वजनिक रूप से सबके सामने पेश किया गया. कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के बावजूद लोगों की भीड़ इस क्रूर सजा को देखने के लिए इकट्ठा हुई. इन लोगों ने कोड़े मारने की तस्वीरों को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया.

मास्क पहने इन जोड़ों का क्रूर सजा से पहले मेडिकल टेस्ट किया गया. फिर हथकड़ी लगाकर जमीन पर बैठाया गया. कोड़े मारने वाले व्यक्ति ने अपने चेहरे को पूरी तरह से ढका हुआ था. उसने इन लोगों के घुटने पर बैठने के बाद क्रूरता से कोड़े बरसाने शुरू किए. दुनिया के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले मुल्क इंडोनेशिया में आचे ही केवल एक ऐसा प्रांत हैं, जहां आज भी शरिया कानून लागू है. वहीं, आचे की पहचान कड़ी सजा देने वाले प्रांत के रूप में होती है, जो हमेशा ही अपनी सजा को लेकर चर्चा में रहता है. आचे के 50 लाख लोगों में से 98 फीसदी मुस्लिम हैं.

शरिया कानून वाला एकमात्र प्रांत
आचे में आमतौर पर इस तरह की सजा के दौरान लोगों की काफी भीड़ जुटती है. लेकिन कोरोना के चलते इस बार छोटी जगह पर कम लोगों के सामने जोड़ों को सजा दी गई. आचे को साल 2001 में विशेष स्वायत्ता दी गई, जिसके बाद प्रांत में शरिया कानून (Sharia Law) लागू हो गया. सरकार इसके जरिए यहां होने वाले अलगाववादी उग्रवाद पर लगाम लगाना चाहती थी. वहीं, आचे के निवासियों ने शरिया कानून और कोड़े मारकर दी जाने वाली सजा को अपना समर्थन दिया हुआ है. इस कारण यहां इस तरह घटनाएं सुर्खियां बनती रहती हैं.

राष्ट्रपति से सजा को खत्म करने की हुई है गुजारिश
दूसरी ओर, मानवाधिकार संगठन कोड़े मारकर दी जाने वाली सजा का लंबे समय से विरोध करते रहते हैं. सात ही राष्ट्रपति जोको विडोडो से इसे रोकने की मांग की गई है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ होता हुआ नजर नहीं आ रहा है. यहां जुएं, नकल करने, शराब पीने, समलैंगिक संबंध रखने और शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने पर कोड़े मारने की सजा दी जाती है. अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की सजा के पीछे की मंशा लोगों के जेहन में डर बिठाना है, ताकि वे इस तरह के अपराध को करने से पहले डरें.


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