वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा- अफगान और पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी हमलों में बढ़ोत्तरी की आशंका
अफगान और पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी हमलों में बढ़ोत्तरी की आशंका
पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है। अमेरिका सहित दूसरे देशों के जाने का बाद से देश में तालिबान सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है।
इस्लामाबाद उन उग्रवादी लड़ाकों को लेकर विशेष रूप से चिंतित है, जो अफगानिस्तान के क्षेत्र से घातक हमले कर रहा है। पिछले दो दशकों में जिहादी हिंसा में हजारों पाकिस्तानी मारे गए हैं। कुछ दिन पहले ही काबुल हवाई अड्डे के बाहर इस्लामिक स्टेट की अफगान शाखा ने आत्मघाती बम विस्फोट कर 13 अमेरिकी सैनिकों सहित 100 से अधिक लोगों का मार डाला था। हवाई अड्डे पर हमले के बाद रविवार को अफगानिस्तान में सीमा पार से आतंकवादियों की गोलीबारी में दो पाकिस्तानी सैनिक को भी मार दिया था।
एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि आने वाले दो से तीन महीने महत्वपूर्ण हैं। अधिकारी ने अनुसार इस्लामाबाद को अफगान-पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी हमलों में बढ़ोत्तरी की आशंका है। हम सभी को तालिबान को उनकी सेना को फिर से तैयार करने में मदद करनी होगी ताकि वे अपने क्षेत्र को नियंत्रित कर सकें।
अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने कई बार पाकिस्तान पर तालिबान की मदद और समर्थन करने का आरोप लगाया है। इस्लामाबाद, 2001 में तालिबान की गिराई हुई सरकार को मान्यता देने वाले इस आरोप से इनकार करता है।
पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा विश्वभर के देशों को अफगानिस्तान को नहीं छोड़ना चाहिए था। हम तालिबान सरकार को मान्यता दें या नहीं, अफगानिस्तान में स्थिरता बहुत महत्वपूर्ण है। अधिकारी ने चेतावनी दी कि इस्लामिक स्टेट खुरासान (आइएसआइएस-के) की सीरिया और इराक में एक शाखा है, जो सक्रिय रूप से हमले शुरू करने और नए लड़ाकों की भर्ती करने की तलाश में है।
देश के सुरक्षा फैसलों की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने तालिबान को अफगान सेना के पुनर्गठन में मदद करने के लिए सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों, यहां तक कि इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के प्रमुख को भी काबुल भेजने की योजना बनाई है।