कजाकिस्तान में हालात बिगड़े, देखते हुए देश ने रूस से मांगी मदद
ये नहीं कि सड़कों पर दंगे किए जाएं और कानून की धज्जियां उड़ाई जाएं.
रूस के पश्चिमी दक्षिणी सिरे पर भयानक उपद्रव हो रहा है. कजाकिस्तान में सत्ता विरोधी हिंसा भयानक रूप ले चुकी है. उपद्रवियों ने सरकारी अफसरों की हत्या करने के साथ-साथ सरकारी इमारतें फूंक दी, इतना ही नहीं कई पुलिसवालों को भी मार डाला. इसके अलावा टीवी का दफ़्तर भी फूंके. बता दें कि ये सब तब हुआ जब राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव ने पूरे देश में आपातकाल का ऐलान कर रखा है. हालात कंट्रोल से बाहर होता देख कजाकिस्तान ने रूस से मदद मांगी है. अब कजाकिस्तान शहर पर रूसी सेना के टैंक दौड़ने लगे हैं.
गई पुलिसवालों की जान, धधक रही विद्रोह की आग
कजाकिस्तान में पटाखों की तरह गोलियां चलाई, लेकिन विद्रोह की आग धधकती जा रही थी. अल्माटी शहर की हालत सबसे बुरी थी. इस दौरान यहां वाहन फूंके गए. सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचा गया. उपद्रवी पुलिस थानों पर हमला कर चुके हैं. इस दौरान पुलिसवालों की हत्या भी की गई. कजाकिस्तान में ये गतिविधियां गैसे के दाम कम करने के लिए हो रहे प्रदर्शन से शुरू हुई थी, लेकिन प्रदर्शन ने उपद्रव-हिंसा से आगजनी-रक्तपात का रुख अख़्तियार कर लिया. ये हंगामा पश्चिमी मांगिस्ताउ से शुरू हुआ था फिर राजधानी नूर-सुल्तान तक पहुंच गया.
राष्ट्रपति ने उपद्रवियों को दी चेतावनी
राष्ट्रपति ने सरकार बर्खास्त करके पहले नूरसुल्तान, अल्माटी और मांगिस्ताउ प्रांत में इमरजेंसी लगाई, फिर उपद्रव बढ़ा तो पूरे कजाकिस्तान में इमरजेंसी का ऐलान किया गया था. तख़्तापलट का बढ़ता ख़तरा देख राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव ने उपद्रवियों को आख़िरी चेतावनी भी दी है. राष्ट्रपति ने कहा कि सेना और सरकार के दफ़्तरों पर हमले की कोशिश बिल्कुल गैरकानूनी है. ये अपराध है जिसकी सज़ा मिलेगी, लेकिन राष्ट्रपति की अपील का कोई असर नहीं हुआ. उपद्रवियों की तादाद बढ़ती ही गई. कजाकिस्तान के हालात पर रूस ने भी चिंता चताई है. लिहाजा रशियन आर्मी का ट्रांसपोर्ट प्लेन फौरन रूशियन पैराट्रूपर्स को लेकर कजाकिस्तान पहुंच गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए रूस के विदेशमंत्रालय ने बयान जारी किया कि हम संवैधानिक दायरे में बातचीत करके शांतिपूर्ण समझौते के पक्षधर हैं. ये नहीं कि सड़कों पर दंगे किए जाएं और कानून की धज्जियां उड़ाई जाएं.