पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल बाजवा की सीक्रेट मीटिंग!
उसके साथ वह बातचीत को भी तैयार हैं। लेकिन यह सिर्फ तभी होगा जब सरकार उनकी जल्द चुनाव की मांग को मान ले।
इस्लामाबाद: पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के मुखिया इमरान खान सत्ता में लौटेन को बेताब हैं। शायद इसी बेताबी का नतीजा है कि इमरान ने पिछले दिनों आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा से प्रेसीडेंट हाउस में मुलाकात की है। इमरान की इस मीटिंग के बारे में पार्टी के एक नेता ने बुधवार को कुछ जर्नलिस्ट्स को जानकारी दी है। इस पीटीआई लीडर की मानें तो तीन से चार दिन पहले ही ऐसा हुआ है। कुछ ही दिनों पहले खबरें आई थीं कि इमरान ने जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने की अपील की है। हालांकि वह अब इससे मुकर गए हैं।
राष्ट्रपति भी मौजूद थे मीटिंग में
पीटीआई के सीनियर नेता इश्हाक खाकवानी एक न्यूज शो में शिरकत कर रहे थे। जर्नलिस्ट रौफ कलास्रा से बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी भी इस मीटिंग में मौजूद थे। खाकवानी ने कहा कि यह मीटिंग तीन से चार दिन पहले हुई थी। खाकवानी ने इसके बाद कहा कि पीटीआई के वर्तमान सदस्यों के अलावा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पर ही भरोसा किया जा सकता है।
उनका कहना था कि वह डॉक्टर अल्वी को साल 2011 से जानते हैं और साल 2018 में उन्होंने उनके साथ काम किया था। दोनों ने साथ में कई चीजें मिलकर की हैं क्योंकि डॉक्टर अल्वी उनके सेक्रेटरी जनरल थे। साथ ही वह पिछले 14 सालों से इमरान खान के समर्थक रहे हैं। खाकवानी ने इस बात पर अफसोस जताया कि अल्वी को कैबिनेट में शामिल करने की बजाय इमरान खान ने उन्हें राष्ट्रपति का पद सौंप दिया था।
उनका मानना है कि अगर वह कैबिनेट में मंत्री बनते तो काफी कारगर साबित होते। इसके बाद खाकवानी ने कहा कि अल्वी को राष्ट्रपति बनाने के पीछे कई वजहें थीं। खाकवानी की मानें तो अगर अल्वी कैबिनेट में होते तो इमरान की सरकार को कई मसलों से बचा सकते थे। उन्होंने इमरान की टीम को एक नासमझ टीम तक करार दिया।
अपने बयान से पलटे इमरान
इससे अलग हाल ही में इमरान का एक इंटरव्यू सुर्खियों में था। इमरान ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि जनरल बाजवा का कार्यकाल बढ़ाना चाहिए। इमरान का मानना था कि देश में इस समय गठबंधन की जो सरकार है जिसे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) लीड कर रही है, उसके साथ वह बातचीत को भी तैयार हैं। लेकिन यह सिर्फ तभी होगा जब सरकार उनकी जल्द चुनाव की मांग को मान ले।