क्या Satellite Galaxies को 'पालते' हैं सुपरमासिव ब्लैक होल, इस बात से वैज्ञानिक दंग
सुपरमासिव ब्लैक होल
मैड्रिड: विशाल गैलेक्सीज के बीच में पाए जाने वाले महाविशाल ब्लैक होल छोटी गैलेक्सीज की मदद करते हैं। ये छोटी गैलेक्सीज कई बड़ी गैलेक्सीज के चक्कर काटती हैं और इनका जीवनचक्र कुछ हद तक महाविशाल ब्लैक होल पर निर्भर करता है, खासकर उनसे निकलने वाली 'आंधी' पर। स्पेन के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐस्ट्रोफिजिक्स केनरी आइलैंड में रिसर्चर इग्नेशियो मार्टिन-नवारो और उनके साथियों ने Sloan Digital Sky Survey की मदद से 1.24 लाख गैलेक्सीज का डेटा स्टडी किया और इसमें उन्हें उम्मीद से उलट नतीजे मिले।
टीम यह देख रही थी कि इनमें से कितनी गैलेक्सीज में सितारे बनने बंद हो गए थे। इन पर महाविशाल ब्लैक होल के असर को स्टडी किया जा रहा था। कुछ सेंट्रल ब्लैक होल, जिन्हें ऐक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियाई (AGN) कहा जाता है, उनसे भारी ऊर्जा निकल रही थी और इसका असर पास की गैलेक्सीज पर पड़ रहा था।
टीम ने पाया कि ऐसी गैलेक्सीज जो बड़ी गैलेक्सीज के प्लेन के पास चक्कर काट रही थीं, उनमें सितारे बनने की प्रक्रिया पूरी होने की ज्यादा संभावना थी बजाय उन गैलेक्सीज के जो किसी ऐंगल पर चक्कर काट रही हों।
यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लंकनशेर के जेरेमाया हॉरक्स इंस्टिट्यूट में PhD स्टूडेंट अलेक्सिया लोपेज और अडवाइजर रॉजर क्लोज ने यूनवर्सिटी ऑफ लुईविल के जेरार्ड विलिजर के साथ मिलकर Sloan Digital Sky Survey की मदद से यह खोज की है। अलेक्सिया ने बताया, 'आमतौर पर किसी आकृति का ज्यादा से ज्यादा 1.2 अरब प्रकाशवर्ष बड़ा होना एक तरह की सीमा माना जाता है। इसलिए यह विशाल आर्क तीन गुना बड़ी है।' ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी विशाल आकृति इत्तेफाक है या सच उससे ज्यादा है?
ब्रह्मांड को लेकर माना जाता है कि उसका जितना हिस्सा में देख सकते हैं, बाकी भी वैसा ही होगा। इसे Cosmological Principle कहा जाता है। विशाल आर्क और ऐसी दूसरी आकृतियां इस पर सवाल खड़ा करती हैं। रिसर्चर्स ने इसके लिए मैग्नेशियम अब्जॉर्पशन सिस्टम पर क्वेजर के असर को स्टडी किया। क्वेजर ऐसी दूरस्थ गैलेक्सी होती हैं जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा और रोशनी उत्सर्जित करती हैं। अलेक्सिया का कहना है कि क्वेजर एक विशाल लैंप की तरह काम करता है। उन्होंने बताया है कि इन क्वेजर से बने स्पेक्ट्रा को टेलिस्कोप की मदद से स्टडी किया जा सकता है।
इससे पता चलता है कि रोशनी कहां पर अब्जॉर्ब की गई थी। मैग्नीशियम की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि क्वेजर लाइट गैलेक्सीज से होकर निकली है। इस 'फिंगरप्रिंट' की मदद से ऐसे मैटर को देखा जा सकता है जो आमतौर पर ज्यादा चमकता नहीं है। अलेक्सिया ने बताया कि बड़े स्तर पर देखे जाने पर उम्मीद की जाती है कि मैटर एक तरह से फैला हुआ होगा। इसके मुताबिक एक विशाल हिस्से में जो पैटर्न देखा जाता है, पूरा ब्रह्मांड उसी पैटर्न से भरा होगा, चाहें किसी भी हिस्से को कहीं से भी देखा जाए। हालांकि, विशाल आर्क मिलने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि इस पैटर्न की सीमा क्या है।
उम्मीद से उलट मिले नतीजे
इग्नेशियो ने बताया है कि ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि जो सैटलाइट गैलेक्सीज बड़ी गैलेक्सी के प्लेन में नहीं थीं, उन्हें AGN से नुकसान होगा लेकिन इसका उल्टा असर देखा गया। माना जा रहा है कि सितारों के बनने के लिए जरूरी गैस को बाहर की ओर ब्लास्ट करने की जगह ब्लैक होल से निकली आंधियां ऐसे स्पेस के बबल बनाती हैं जो पास के इलाके से कम सघन होते हैं।
जब सैटलाइट गैलेक्सीज इन बबल्स से गुजरती हैं तो वे धूल और गैस से टकराने से बच जाती हैं। इससे टकरान पर गैलेक्सी की जरूरी गैस खत्म हो सकती है जिससे सितारे बनते हैं। बजाय इसके, कम सघनता वाले स्पेस से गुजरने पर सैटलाइट का मटीरियल बना रहता है और सितारे भी बनते रहते हैं।