ब्राजील में वैज्ञानिकों ने जताई चिंता, साओ पाउलो में मिले कोरोना को 19 वेरिएंट्स

साओ पाउलो में 4.6 करोड़ लोग रहते हैं और देश के सबसे अधिक कोविड मामले यहीं पर रिपोर्ट किए गए हैं.

Update: 2021-06-17 04:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्राजील (Brazil) के साओ पाउलो (Sao Paulo) में कोरोनावायरस (Coronavirus) के कम से कम 19 वेरिएंट्स (Variants) की पहचान की गई है. ब्राजील के बायोलोजिक रिसर्च सेंटर 'इंस्टीट्यूटो बुटानटन' (Instituto Butantan) ने एक बयान में इसकी जानकारी दी है. बयान में कहा गया, साओ पाउलो राज्य में 19 कोरोनावायरस वेरिएंट्स सर्कुलेट हो रहे हैं. इसमें P.1 (अमेजोनियन) स्ट्रेन कोरोना के 89.9 फीसदी मामलों से जुड़ा हुआ था. इसके बाद दूसरे नंबर पर B.1.1.7 (यूके वेरिएंट) स्ट्रेन था, जिससे जुड़े हुए 4.2 फीसदी मामले रिपोर्ट किए गए.

साओ पाउलो राज्य देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है. यहां पर 4.6 करोड़ लोग रहते हैं और देश के सबसे अधिक कोविड मामले यहीं पर रिपोर्ट किए गए हैं. इसी बीच, रूस (Russia) की स्पुतनिक वी (Sputnik V) कोविड वैक्सीन की पहली खेप जुलाई के शुरुआत में ब्राजील पहुंच सकती है. ब्राजील के सेरा राज्य के गवर्नर कैमिलो सैन्टाना ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा, स्पुतनिक वी वैक्सीन से जुड़े रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के प्रतिनिधियों और उत्तर-पूर्व (ब्राजील) के गवर्नरों के बीच एक बैठक हुई. फंड ने जुलाई की शुरुआत में वैक्सीन की पहली बैच की डिलीवरी की पुष्टि की और इस महीने के अंत तक वैक्सीन वितरण कार्यक्रम तैयार हो जाएगा.
कैसे बनता है वायरस का नया वेरिएंट?
कोरोनावायरस SARS-CoV 2 वायरस की वजह से होता है. इसकी वजह से ये वायरस पूरी दुनिया में फैला है. वायरस के DNA में होने वाले बदलाव को म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है. जब वायरस में ज्यादा म्यूटेशन होने लगता है तो ये नया रूप धारण कर लेता है. इसे ही वायरस का नया वेरिएंट कहा जाता है. वहीं, वायरस के वेरिएंट सामने आने के कई कारण होते हैं. इसमें लगातार वायरस का फैलना एक मुख्य वजह है. कोविड की चपेट में आने वाला हर मरीज वायरस को म्यूटेट होने का एक अवसर देता है. इस तरह मरीजों की संख्या में होने वाले इजाफे की वजह से वेरिएंट के बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है.
आखिर म्यूटेशन होता क्यों है?
आसान भाषा में इसे समझा जाए तो SARS-CoV-2 के जेनेटिक कोड में लगभग 30 हजार अक्षरों वाला RNA का एक गुच्छा होता है. वायरस जब इंसान की कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो वहां ये अपने जैसे हजारों वायरस को पैदा करने की कोशिश करता है. वहीं, कई दफा इस तरह की प्रक्रिया के दौरान नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह से 'कॉपी' नहीं हो पाता है. ऐसे में हर कुछ हफ्ते में वायरस म्यूटेट हो जाता है. मतलब उसके जेनेटिक कोड में बदलाव हो जाता है.


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