वैज्ञानिकों के हाथ लगी एक और बड़ी कामयाबी, नए तारों की खोज से मिले छिपे ग्रहों के संकेत

हमारी टीम का अनुमान है कि इसके बाद अधिक दूरी के सैकड़ों प्रासंगिक तारों का अध्ययन कर नवीन ग्रह खोजने में मदद मिल सकेगी।

Update: 2021-10-15 08:38 GMT

ब्रह्मांड अपने में अनंत रहस्य छिपाए हुए है, जिन पर से पर्दा उठाने के लिए दुनियाभर के विज्ञानी प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में विज्ञानियों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। दरअसल, विज्ञानियों ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली एंटीना का प्रयोग करते हुए ऐसे तारों की खोज की है, जिनसे अप्रत्याशित रूप से रेडियो तरंगें मिली हैं। इन तरंगों की वजह से छिपे हुए ग्रहों के संकेत मिले हैं।

द क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के डा. बेंजामिन पोप और डच नेशनल आब्जर्वेटरी एस्ट्रान में उनके सहयोगी दुनिया के सबसे सबसे शक्तिशाली रेडियो टेलीस्कोप लो-फ्रीक्वेंसी अरे (एलओएफएआर) का उपयोग करके ग्रहों की खोज कर रहे हैं। उनकी इस खोज के दौरान ही उन्हें ये रेडियो तरंगें मिली हैं। इस अध्ययन को नेचर एस्ट्रोनामी में प्रकाशित किया गया है। डा. पोप के मुताबिक, हमें दूर के 19 लाल बौने तारों से सिग्नल्स प्राप्त हुए हैं, इनमें से चार के समीप ग्रहों के होने की अच्छी संभावना प्रतीत हो रही है।
महत्वपूर्ण खोज, मिल सकते हैं नए ग्रह
बकौल डा. पोप, हम यह पहले से जानते हैं कि हमारे अपने सौर मंडल के ग्रह शक्तिशाली रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करते हैं। इसकी वजह उनके चुंबकीय क्षेत्र का सौर हवा के साथ सपंर्क है। अहम बात यह है कि हमारे सौर मंडल के बाहर के ग्रहों से कोई रेडियो सिग्नल अभी तक हमें नहीं मिले थे। यह ऐसा पहला मामला है। यही वजह है कि यह खोज रेडियो खगोल विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह हमें पूरी आकाशगंगा में ग्रहों की खोज की ओर ले जा सकती है।
बढ़ रहा है खोज का दायरा
अंतरिक्ष में खोज का दायरा पहले सीमित था। पूर्व में खगोलविद केवल नजदीक के तारों की रेडियो तरंगों का पता लगाने में सक्षम थे। वहीं, अब खगोलविद सुदूर तारों को भी देखने में सक्षम हैं। वर्तमान में न केवल वे उनका अच्छे से अवलोकन कर सकते हैं, बल्कि यदि उन तारों के आस-पास किसी ग्रह होने की संभावना हो तो उसका भी पता लगाया जा सकता है।
इस तरह की नई खोज
इस नवीन खोज में खोजकर्ताओं के दल ने लाल बौने तारों पर ध्यान केंद्रित किया, जो सूर्य की तुलना में बहुत छोटे हैं और एक तीव्र चुंबकीय गतिविधि के लिए जाने जाते हैं, जिनसे रेडियो तरंगें निकलती हैं। हालांकि, कुछ पुराने और चुंबकीय रूप से निष्कि्रय तारे भी रेडियो तरंगें निकालते हैं, जिनकी वजह से इनकी सही जानकारी जुटा पाना चुनौतीपूर्ण होता है। लीडेन यूनिवर्सिटी के डा. जोसेफ कालिंगम, जो कि इस खोज के प्रमुख लेखक भी हैं ने बताया कि उनकी टीम को इस बात का विश्वास है कि जो सिग्नल्स उन्हें मिल रहे हैं वे तारों और परिक्रमा कर रहे अनदेखे ग्रहों के चुंबकीय कनेक्शन की वजह से आ रहे हैं। ये उसी तरह से है, जिस तरह से बृहस्पति और चंद्रमा के बीच के संबंध की वजह से दिखाई देता है।
पुष्टि की जरूरत
डा. जोसेफ के मुताबिक, हमारी धरती पर आरोर (ध्रुवीय प्रकाश) दिखाई देता है, जिन्हें उत्तरी और दक्षिणी रोशनी के रूप में जाना जाता है। इनसे भी शक्तिशाली रेडियो तरंगों का उत्सर्जन होता है। ऐसा ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र का सौर हवा के साथ संपर्क के कारण होता है। दूसरे ग्रहों की इन तरंगों की पहचान के लिए हमने जिस अपग्रेड माडल का प्रयोग किया उसकी मदद से हम सुदूर के तारों पर भी अध्ययन करने में समर्थ हो सके। इससे हमें नए ग्रहों की मौजूदगी के संकेत मिले। अब हमारा दल उनकी पुष्टि करने का कार्य कर रहा है
किया जाएगा और अध्ययन
डा. पोप के मुताबिक, हम इस बात की 100 प्रतिशत पुष्टि नहीं कर सकते कि जिन चार तारों की हम बात कर रहे हैं उनके आस-पास ग्रह हों ही। इसका पता लगाने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है। एलओएफएआर की मदद से हमने अभी खोज करने की शुरुआत की है। इस टेलीस्कोप की क्षमता 165 प्रकाशवर्ष दूर के तारों को देखने की है। वहीं, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के स्क्वेर किलोमीटर अरे रेडियो टेलीस्कोप के 2029 तक निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। हमारी टीम का अनुमान है कि इसके बाद अधिक दूरी के सैकड़ों प्रासंगिक तारों का अध्ययन कर नवीन ग्रह खोजने में मदद मिल सकेगी।


Tags:    

Similar News