वैज्ञानिकों ने बनाया 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' उपकरण, संक्रमित लोगों का इलाज करने में आ सकता है काम
संक्रमित लोगों का इलाज करने में आ सकता है काम
Artificial Intelligence Tool to Treat Covid-19 Patients: अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण विकसित किया है, जो यह अनुमान लगा सकता है कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के किसी मरीज को कितनी मात्रा में अतिरिक्त ऑक्सीजन (Oxygen For Patients) की जरूरत होगी. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण की सटीकता का पता लगाने के लिए इसकी पांच महाद्वीपों के कई अस्पतालों में जांच की गई. अध्ययन के तहत आपात विभाग में मरीज के पहुंचने के 24 घंटे के भीतर पड़ने वाली ऑक्सीजन का अनुमान लगाया गया.
दुनियाभर में करीब 10,000 कोविड-19 मरीजों पर किए गए अध्ययन के नतीजे और विश्लेषण नेचर मेडिसीन जर्नल में गुरुवार को प्रकाशित किए गए हैं. इस तकनीक के तहत, कोविड-19 लक्षणों (Symptoms of Covid-19) के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों के सीने के एक्सरे और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य डाटा का विश्लेषण करने में एक गणितीय विधि का उपयोग किया गया. इसके बाद विश्लेषण को एकजुट कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण बनाया गया.
अस्पतालों में काफी काम आ सकता है टूल
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की प्राध्यापक फियोना गिलबर्ट ने कहा, 'साझा अनुमान मॉडल को सामूहिक रूप से समझने की इस पद्धति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनोवेशन (Artificial Intelligence Tools) को अस्पतालों के लिए उपयोगी बनाया है.' अध्ययन के प्रथम लेखक इट्टाई डायन ने कहा, 'आमतौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में जब आप आंकड़ों को एक साथ मिलाते हैं, तब यह किसी अन्य अस्पताल के लिए बखूबी काम नहीं करता है.'
सभी महाद्वीपों से जुटाया गया डाटा
सभी महाद्वीपों से डाटा (Study on Coronavirus) एकत्र कर किए गए अध्ययन को उच्च गुणवत्ता वाले अनुमान हासिल करने में महज दो हफ्ते लगे. इसे कब तक अस्पतालों में इस्तेमाल में लाया जाएगा, ये अभी स्पष्ट नहीं है. लेकिन अध्ययन से इतना जरूर साफ हो गया है कि इससे इलाज करने में काफी मदद मिलेगी. बता दें पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन (Covid-19 Vaccines) लगाई जा रही है लेकिन फिर भी कई हिस्सों में वायरस के नए वेरिएंट के कारण मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है. बीमारी से निपटने के लिए कारगर तरीकों पर खोज भी की जा रही है. ताकि जल्द से जल्द बीमारी को हराया जा सके.