वैज्ञानिकों के हाथ लगी ऐसी एंटीबॉडी कि खत्म होगी वैक्सीन की जरूरत
COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ने दुनिया की काफी मदद की है. हालांकि, नए वेरिएंट उनसे लड़ने के लिए अलग-अलग बूस्टर की जरूरत पैदा करते हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक एंटीबॉडी की खोज की है, जिसे SP1-77 कहा जाता है. यह COVID-19 के सभी सभी ज्ञात रूपों को बेअसर करता है.
COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ने दुनिया की काफी मदद की है. हालांकि, नए वेरिएंट उनसे लड़ने के लिए अलग-अलग बूस्टर की जरूरत पैदा करते हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक एंटीबॉडी की खोज की है, जिसे SP1-77 कहा जाता है. यह COVID-19 के सभी सभी ज्ञात रूपों को बेअसर करता है.
बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल और ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक साथ चूहों पर किए इस अध्ययन के दौरान इसकी खोज की. इस खोज का निष्कर्ष साइंस इम्यूनोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसके मुताबिक, "SP1-77 स्पाइक प्रोटीन को एक ऐसी साइट पर बांधता है जिसे अब तक किसी भी प्रकार से म्यूटेट नहीं किया गया है और यह एक नोवल मैकनिज्म द्वारा इन रूपों को बेअसर करता है."
अध्ययन के सह-लेखक टॉमस किरचहॉसन, पीएचडी ने एक बयान में कहा, "ये गुण इसकी व्यापक और शक्तिशाली गतिविधि में योगदान कर सकते हैं." एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एंटीबॉडी तब बनने लगी थी जब शोधकर्ताओं ने एक माउस मॉडल को संशोधित किया था जो मूल रूप से एचआईवी को व्यापक रूप से बेअसर करने वाले एंटीबॉडी की खोज के लिए बनाया गया था.
चूहों में अंतर्निहित मानव प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से बेहतर एंटीबॉडी विकसित करने के तरीके की नकल करती है जब हम एक रोगज़नक़ के संपर्क में आते हैं. एंटीबॉडी, हालांकि टीके बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य एंटीबॉडी की तुलना में थोड़ा अलग तरीके से काम करती है. यह अध्ययन चूहों पर किया गया था इसलिए अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसका क्या प्रभाव हो सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अध्ययन अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अगर यह उम्मीदों पर खरा उतरता है तो यह नए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उत्पादों के साथ-साथ एक वैक्सीन का आधार बन सकता है.