वैज्ञानिकों के हाथ लगा ऐसा 'खजाना', क्या अब चांद पर बनेगा पेट्रोल और स्टील?

पृथ्वी के प्राकृतिक सैटेलाइट चंद्रमा पर इंसान कदम रख चुका है. लेकिन

Update: 2021-11-27 11:48 GMT
पृथ्वी के प्राकृतिक सैटेलाइट चंद्रमा पर इंसान कदम रख चुका है. लेकिन अभी तक इस अपना ठिकाना नहीं बना पाया है. पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 2,38,855 मील है और इतनी यात्रा करने के बाद भी ये आधी सफलता के तौर पर ही दिखाई देता है. दरअसल, वैज्ञानिकों का इरादा सिर्फ चांद पर पहुंचना नहीं है, बल्कि वहां इंसान की मौजूदगी बनाए रखना भी है.
चंद्रमा पर इंसानों की मौजूदगी के लिए एस्ट्रोनोट्स को चंद्रमा की सतह पर संसाधन बनाने की जरूरत है. एक हालिया खोज भविष्य के एस्ट्रोनोट्स को चंद्रमा पर अधिक समय बिताने में मदद कर सकती है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में चंद्रमा के ध्रुवों पर कार्बन डाइऑक्साइड कोल्ड ट्रैप्स की मौजूदगी की पुष्टि की है.
इसका इस्तेमाल ईंधन के तौर पर किया जा सकता है. यहां तक कि इस कार्बन का इस्तेमाल बायोमैटिरियल्स और स्टील के उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में भी किया जा सकता है. प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और स्टडी के प्रमुख लेखक नॉर्बर्ट शॉर्गोफर ने बताया है कि कार्बन एक महत्वपूर्ण तत्व है.
नॉर्बर्ट शॉर्गोफर और उनके सहयोगियों ने जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक पेपर में अपनी खोज की जानकारी दी है. शोध के अनुसार चंद्रमा पर कार्बन डाइऑक्साइड प्रचुर मात्रा में मौजूद है. हालांकि, चंद्रमा के ठंडे वातावरण से कार्बन निकालने की कोई विशिष्ट तकनीक अभी तक विकसित नहीं हुई है. लेकिन ये पृथ्वी पर खनन संसाधनों के समान ही होगी.
शोर्गोफर ने कहा कि चंद्रमा के गुप अंधेरे में काम करना चुनौतीपूर्ण है. यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण वातावरण है लेकिन फिर भी कार्बन को पृथ्वी से ले जाने के मुकाबले ये वहां पर निकालना ज्यादा आसान है. पृथ्वी से कार्बन का परिवहन बहुत अधिक महंगा है. पृथ्वी की कक्षा में एक पाउंड के पेलोड को ले जाने में लगभग 10,000 डॉलर का खर्च आएगा.
ऐसे में स्थानीय संसाधनों का होना एक बेहतर विकल्प लगता है. अंतरिक्ष एजेंसियों के पास अभी भी कार्बन डाइऑक्साइड के खनन का तरीका विकसित करने के लिए कुछ समय है. वहीं, चांद पर उतरने वाला आर्टेमिस (Artemis) का क्रू अब 2024 की जगह 2025 में उड़ान भरेगा.
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